Wednesday, September 14, 2011

पढो ज़रा...

listen ज़रा..
  कल १३ सितम्बर २०११ का दिन मेरे और मेरे क्लास ( एम.जे.एम.सी. ३    सेमेस्टर, लखनऊ विश्विद्यालय ) के सभी स्टुडेंट्स के लिए बहुत ही  महत्वपूर्ण था. कल हम सबको मुकुल सर के सहयोग से अपनी रचनात्मकता को लोगो के सामने प्रस्तुत करने का मौका मिला. ये प्रस्तुतीकरण हम सबने एक रेडियो इवेंट के ज़रिये किया जिसका नाम था listen ज़रा....

इस प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में हमारा साथ  प्रो.ए.के.सेनगुप्ता, डॉ.आर.सी.त्रिपाठी, प्रो. राकेश चंद्रा, प्रो.मनोज दीक्षित, और रेड एफ एम के मशहूर आर जे आमिर ने दिया. आर जे आमिर की उपस्थिति ने सभी स्टुडेंट्स को जोश से भर दिया था. अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर के इवेंट का शुभ आरम्भ किया. 
 
इसके बाद अतिथियों ने स्टुडेंट्स की बनायीं हुई सीडी का विमोचन किया.हमारे एंकर्स ने अपने चुटीले अंदाज़ में प्रोग्राम को आगे बढाते हुए उस सीडी में कैद हम सबकी आवाजों को वहा बैठी जनता तक पहुचाया. स्टुडेंट्स ने गीतों भरी कहानी में जिंदगी के सफर के अलग अलग आयामों - बचपन, दोस्ती, मन, तनहाई, मौत, आंखें, चेहरा, रात, सावन  को  पेश किये. साथ ही  रेडियो नाटक के ज़रिये हमने अपने समाज की व्यथा को लोगो तक पहुचाया. हमारे काम को सुनने के बाद अतिथियों ने उसको सराहा भी और साथ ही कमिया भी बताई. 

फीडबैक बोर्ड
आर जे आमिर ने जर्नालिस्म स्टुडेंट्स के कुछ सवालों का भी जवाब दिया और बताया की एक अच्छा आर जे बनने के लिए आत्मविश्वास, शब्दों का जाल और तुरंत जवाब देने की क्षमता होनी चाहिए. अपने सहज अंदाज़ में स्टुडेंट्स से बात कर के उन्होंने सबके बीच एक अलग जगह बना ली.

इवेंट कब शुरू होकर कब अपने अंतिम पड़ाव पे आ गया, पता ही नहीं चला. सभी ने पूरे इवेंट को खूब एन्जॉय किया. अतिथियों ने फीडबैक बोर्ड पर अपने फीडबैक दिए जिसे पढ़ कर स्टुडेंट्स का मनोबल बढ़ा.

स्टुडेंट्स की मस्ती
इवेंट के ख़त्म होने के बाद शुरू हुई हम स्टुडेंट्स की मस्ती. हम सब मिलकर खूब झूमे, नाचे, चिल्लाये, या यूँ कहे कि हमने अपने इवेंट की सफलता का जश्न मनाया. अगर मुकुल सर का सपोर्ट नहीं होता तो ये इवेंट कभी भी सक्सेसफुल नहीं बन पाता.
our गुरु- मुकुल सर (center)

इस पूरे इवेंट के दौरान हमने बहुत कुछ सीखा- ग्रुप में काम करना, अपने पर विश्वास रखना, हौसला बनाये रखना, समय के पाबंद रहना...ये सब सीख पाए मुकुल सर के कारण. अगर वो इस तरह का कोई इनिशीएटिव ना लेते तो हम स्टुडेंट्स इस खूबसूरत अनुभव से कभी न गुज़र पाते और इन बातो को ना सीख पाते.