tag:blogger.com,1999:blog-5384240755774692162024-02-18T19:59:46.230-08:00दस्तकदस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.comBlogger71125tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-20988948142446056802021-04-10T12:42:00.000-07:002021-04-10T12:42:58.163-07:00<p>आजकल मैं कुछ थकी थकी सी हुँ </p><div style="text-align: left;">वक़्त चल रहा हैं लेकिन मैं थमी सी हुँ</div><p><br /></p><p>ना जाने सारा दिन मैं क्या सोचती हुँ </p><p>खुद ही के भीतर मैं क्या खोजती हुँ </p><p><br /></p><p>पंख लगा कर आसमां को छूना चाहती हुँ </p><p>चाँद और सितारों से बतियाना चाहती हुँ </p><p><br /></p><p>कभी पानी की तेज़ कलकलाहट सुनना चाहे दिल </p><p>कभी नाचते मयूरो को देख मन जाये खिल </p><p><br /></p><p>कभी मुझे वो फूलो की बगिया लुभाती हैं </p><p>जिन पर रंग बिरंगी तितलियाँ मंडराती हैं </p><p><br /></p><p>कभी लगे मैं फिर बच्ची हो जाऊ </p><p>बिन बात के रोउ और खूब खिलखिलाऊ </p><p><br /></p><p>माँ को अपनी कसकर गले लगाऊ </p><p>गोद में उनकी रख कर सिर, मैं सुकून से सो जाऊ </p><p><br /></p><p>क्यूंकि आजकल मैं कुछ थकी थकी सी हुँ </p><p>वक़्त चल रहा हैं लेकिन मैं थमी सी हुँ</p>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-37163093153928803062015-03-11T10:13:00.001-07:002015-03-11T10:13:45.824-07:00ये बेटी क्या होता हैं माँ ?<div>( गर्भ से आवाज आती हैं " माँ, ये पापा क्या कह रहे हैं, ये बेटी हैं इसे मार दो। )</div><div><br></div><div>मैं बेटी हूँ !!</div><div>ये बेटी क्या होता हैं माँ ?</div><div><br></div><div>क्या बेटी गर्भ मे सताती हैं?</div><div>क्या बेटी होने से प्रजनन पीड़ा अधिक बढ़ जाती हैं?</div><div><br></div><div>क्या बेटी तुमको माँ का दर्जा नही दिलाती हैं?</div><div>क्या बेटी तुम्हारी गोद नही सजाती हैं?</div><div><br></div><div>क्या बेटी वंश नही बढ़ाती हैं?</div><div>क्या बेटी बस रूलाती हैं?</div><div><span style="background-color: rgba(255, 255, 255, 0); -webkit-text-size-adjust: auto; font-family: 'Helvetica Neue Light', HelveticaNeue-Light, helvetica, arial, sans-serif;"><br></span></div><div><span style="background-color: rgba(255, 255, 255, 0); -webkit-text-size-adjust: auto; font-family: 'Helvetica Neue Light', HelveticaNeue-Light, helvetica, arial, sans-serif;">ये बेटी क्या होता हैं माँ ?</span></div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-18575805980887430132015-03-08T06:05:00.000-07:002015-03-08T06:05:23.905-07:00नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी<br />
मैं अपने माँ बाप की दुलारी अच्छी थी<br />
<br />
तन को अपने निर्वस्त्र कराकर<br />
लबो की अपनी हँसी मिटाकर<br />
नही बनना था मुझे देश की बेटी<br />
<br />
चेहरे को अपने यूँ रुंदवाकर<br />
इज़्ज़त अपनी छिनवाकर<br />
नही बनना था मुझे देश की बेटी<br />
<br />
खून से लतपत शरीर को सड़क पर फिकवाकर<br />
आत्मा को अपनी छननी करवाकर<br />
नही बनना था मुझे देश की बेटी<br />
<br />
माँ बाप के दिये नाम को ' निर्भया ' बनाकर<br />
अपने अस्तितव को यूँ मिटाकर<br />
नही बनना था मुझे देश की बेटी<br />
<br />
अब ना जलाओ मेरे नाम की मोमबत्तियाँ<br />
मैं अपने माँ बाप के जीवन की ज्योति अच्छी थी<br />
नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी<br />
मैं अपने माँ बाप की दुलारी अच्छी थी</div>
दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-82791231422374143002013-06-15T00:04:00.002-07:002013-06-15T00:04:39.399-07:00...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
लिखना जब से छूटा है,<br />
लगे साथ कोई टूटा है,<br />
कागज़ कलम भी मुझसे रूठे है,<br />
कहे तेरे किए हर वादे झूठे है,<br />
कोई ना समझे मेरे भीतर की उधेड़बुन को,<br />
किन अक्षरों में लिखूँ<br />
ना लिख पाने के खाली पन को,<br />
उँगलियाँ तो मेरी अब भी कलम की ओर बढ़ती है,<br />
लिख ना पाऊँ तो क्या<br />
औरो की कलम का लिखा तो पढ़ती हूँ,<br />
फिर लिख पाने की चाहत<br />
ना लिख पाने की कसक से बहुत ज्यादा है,<br />
मैं लिख पाऊँगी<br />
फिर से<br />
ये मेरा वादा है. <br />
</div>
दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-9655738332841637162012-09-25T02:51:00.002-07:002012-09-25T02:51:13.309-07:00....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
रूठने पर भी रूठ ना पाऊं <br />शैतानियों से अपनी वो खूब हसाएं,<br />जब चोट लग जाए मुझे<br />नम आँखों से मुझपे चिल्लाये,<br />हर सन्डे जब खेले कुछ भी<br />जान बूझ के मुझे जिताए,<br />मिर्च हो जब सब्जी में ज्यादा<br />हाथो से अपने मुझे पानी पिलाए,<br />मुझे कभी जो नींद ना आये<br />थपकी देकर मुझे सुलाए,<br />खाना जो ना मैं खाऊं कभी<br />डाटे जोर से और मुझे रुलाये,<br />माँ-बाप से दूर आकर भी<br />ना जाने क्यूँ उनकी याद ना आये,<br />पहले मैं कभी अधूरी थी<br />साथ उनका मुझे पूरा कर जाए,<br />बस यूँ ही जीती रहूँ उम्र भर,<br />ज़िन्दगी बस यूँ ही कट जाए.</div>
दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-28658606357249014762012-08-23T04:21:00.001-07:002012-08-23T04:21:12.339-07:00...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>कुछ नादां ख्वाइशे है मेरी <br />
पूरी करने की कोशिश जिन्हें मैं करती रहूँ,<br />
पता ना हो जाना कहा हैं <br />
कदम मेरे चलते रहे,<br />
आशाएं मेरी ना डूबे <br />
सूरज चाहे ढलता रहे,<br />
शोर मेरा ना सुन पाए कोई<br />
खामोशी अपनी मैं सुनती रहूँ,<br />
लब पर बस मुस्कराहट हो<br />
गम दिल में चाहे पलता रहे,<br />
पता ना हो लिखना क्या हैं<br />
पर कलम मेरी चलती रहे,<br />
खो जाऊ मैं सबके लिए <br />
खुद के लिए पलती रहूँ,<br />
रौशनी में भी चाहे ना पहचाने कोई<br />
अँधेरे में खुद से मगर में मिलती रहूँ,<br />
डर ना हो मौत का मुझे <br />
उसे अपना समझ मैं फिरती रहूँ.<br />
कुछ नादां ख्वाइशे है मेरी <br />
पूरी करने की कोशिश जिन्हें मैं करती रहूँ.<br /></b>
</div>
दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-34138883774412428402012-08-14T03:53:00.000-07:002012-08-14T04:09:27.379-07:00...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>कुछ लिखो तो <br />
कहते है लोग<br />
तुम जो महसूस करते हो<br />
वो लिखते हो<br />
क्या किसी के एहसासों को <br />
शब्दों में पिरोना <br />
मुश्किल है ?<br /><br />
कोई शांत हो तो </b>
<b><br />
कहते है लोग<br />
गंभीर हो तुम <br />
क्या किसी के मौन को समझना<br />
मुश्किल है ?<br /><br />
कोई ज़ख़्मी हो तो</b>
<b><br />
ज़ख्म को उसके<br />
कुरेदते है लोग<br />
क्या किसी के ज़ख्म पे मरहम लगाना<br />
मुश्किल है ?<br /><br />
आँख से गिरते आंसू देख </b>
<b><br />
कहते है लोग<br />
कमज़ोर हो तुम<br />
क्या अपनी ही आँख से आंसू छलकाना<br />
मुश्किल है ?</b><br />
<b><br /></b>
<b>
आपको अपना कहते है<br />
जो लोग<br />
उनके लिए <br />
आपको ही समझ पाना<br />
क्यूँ मुश्किल है ?<br /><br /><br /></b>
</div>
दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-11278702008065028172012-06-26T07:34:00.003-07:002012-06-26T07:34:38.550-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
काश, मैं लिख पाऊ एक कविता<br />
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे,<br />
माँ सी ममता है तुमसे<br />
बहन सा दुलार भी हैं<br />
आशिकों सा जूनून है<br />
दोस्त सा साथ भी हैं,<br />
पत्नी सा प्यार हैं,<br />
बेटी सा विश्वास भी हैं,<br />
<br />
स्त्री के हर रूप का एहसास<br />
दिलाता है तुम्हारा साथ<br />
<br />
काश, मैं लिख पाऊ एक कविता<br />
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-32952109220750397542012-03-27T23:32:00.002-07:002012-03-27T23:32:42.380-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">नारी - नाम है सम्मान का, या <br />
समाज ने कोई ढोंग रचा है. <br />
<br />
बेटी - नाम है दुलार का, या <br />
समाज के लिए सजा है.<br />
<br />
पत्नी - किसी पुरुष की सगी है, या <br />
यह रिश्ता भी एक ठगी है.<br />
<br />
माँ - ममता की परिभाषा है, या<br />
होना इसका भी एक निराशा है.<br />
<br />
नारी - नाम है स्वाभिमान का, या<br />
इसका हर रिश्ता है अपमान का.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-48086483727305545052011-12-09T04:13:00.000-08:002011-12-09T04:13:09.513-08:00बंद डायरी के पन्ने<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b> तेज़ हवा के साथ कुछ पन्ने पलट जाते हैं, </b><br />
<div> <div><b>शायद वो पन्ने जिनको आप भूल चुके हो,</b></div><div><b>या वो पन्ने जिनको आप <span><span><span>भूलना </span></span><span>चाहते हो,</span></span></b></div><div><b>पढने पर उनको कसक उठती है,</b></div><div><b>हर अक्षर कहता है अपनी कहानी,</b></div><div><b>याद आ जाती हैं बातें पुरानी,</b></div><div><b>कुछ शब्द देते हैं याद सुहानी,</b></div><div><b>कुछ कह जाते हैं हमारी नादानी,<br />
उस बंद डायरी के पन्ने <br />
खुलने के बाद<br />
दिल फिर यही कहता हैं<br />
यादो में बसा हर पल<br />
हमेशा जिंदा ही रहता हैं.</b></div></div><b> </b> </div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-47224957593008710772011-10-17T06:05:00.000-07:002011-10-17T06:05:57.358-07:00INCREDIBLE INDIA<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><object width="320" height="266" class="BLOGGER-youtube-video" classid="clsid:D27CDB6E-AE6D-11cf-96B8-444553540000" codebase="http://download.macromedia.com/pub/shockwave/cabs/flash/swflash.cab#version=6,0,40,0" data-thumbnail-src="http://3.gvt0.com/vi/GE2jY8q4_3s/0.jpg"><param name="movie" value="http://www.youtube.com/v/GE2jY8q4_3s&fs=1&source=uds" /><param name="bgcolor" value="#FFFFFF" /><embed width="320" height="266" src="http://www.youtube.com/v/GE2jY8q4_3s&fs=1&source=uds" type="application/x-shockwave-flash"></embed></object></div><h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":1}"><span class="messageBody translationEligibleUserMessage" data-ft="{"type":3}">our ( sufia n i ) documentary "INCREDIBLE INDIA" which we made under the supervision of mukul sir...edited by ravi sir and vinay sir...thank u sir....</span></h6></div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-12524759856598072542011-10-08T23:37:00.000-07:002011-10-08T23:37:55.225-07:00क्या करे ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">जो दिल में बसते हो आपके<br />
वहां रहना ही ना चाहे,<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब सवालों की गठरी <br />
भारी होती जाए<br />
जवाब ना मिले,<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब मद्धम आवाज़<br />
सुनना चाहे दिल <br />
सिर्फ रूदन सुनाई पड़े,<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब दर्द शब्दों में <br />
बयां करना चाहे<br />
और होठ कपकपाये<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
पलकों में बसा <br />
रखे हो आंसू<br />
आँखे बरसने ना पाए<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब ठहरना चाहे <br />
किसी मुकां पे <br />
आंधी में पत्ते की तरह <br />
उड़ते चले जाए <br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब सुकूं की तलाश हो<br />
रूह थरथराती ही जाए<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब किसी के <br />
कदमो के निशाँ <br />
कैद करना चाहे<br />
लहरें उसे मिटाती<br />
चली जाए<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब तस्वीर कोई उकेरने <br />
को दिल करे<br />
कलम साथ ही ना दे<br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जब वक़्त को थामना चाहे<br />
और लम्हा अहिस्ता अहिस्ता<br />
गुज़रता चला जाए <br />
तो क्या करे ?<br />
<br />
जो आपकी हसी पे <br />
मरते थे कभी<br />
आपकी मौत की<br />
खबर पर मुस्कुराए <br />
तो क्या करे ? <br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-45298996134560676642011-10-05T07:46:00.000-07:002011-10-05T07:46:42.928-07:00वो पल अच्छे थे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">वो पल अच्छे थे<br />
जब तुम छत से <br />
टपकते पानी को देख<br />
मेरे सर पर अपना हाथ <br />
रख लेते थे<br />
शर्ट पहन के उसका<br />
टूटा बटन<br />
मुझसे टकवाते थे<br />
रोज़ अपने हाथो से<br />
मेरी मांग सजाते थे<br />
मैं कौन सा रंग पहनू<br />
मुझे बताते थे<br />
मेरे हाथ की <br />
अधजली रोटियाँ <br />
स्वाद लेकर खाते थे <br />
अपनी साईकिल पर बिठा<br />
कर मुझे शहर घुमाते थे<br />
घंटो साथ बैठ कर <br />
मुझसे बतियाते थे<br />
हर रात अपनी बाहों को<br />
मेरा तकिया बनाते थे<br />
मैं कभी नींद से जग जाऊ<br />
सो तुम भी नहीं पाते थे<br />
घबरा जाऊ जो मैं <br />
मुझे गले लगाते थे<br />
साथ बैठ कर मेरे<br />
यादो की तस्वीर बनाते थे<br />
मेरे बिना कुछ पल भी<br />
अकेले रहने से सकुचाते थे<br />
मेरी एक मुस्कान के लिए<br />
सौ दर्द सह जाते थे <br />
चंद सिक्को की तलाश में<br />
तुम क्यूँ पड़ गये<br />
वक़्त की दौड़ में<br />
मुझे छोड़<br />
क्यूँ आगे बढ़ गये<br />
खड़ी हूँ मैं आज भी <br />
उसी मोड़ पर<br />
जानती हूँ लौटोगे तुम <br />
जब जानोगे <br />
वो पल ही अच्छे थे.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-44636870297455015132011-10-04T07:29:00.001-07:002011-10-04T07:29:29.558-07:00मुझे चाहत है अब भी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">साँसे चलती थी तब तुम ना थी<br />
तुम्हारी चाहत थी<br />
कब्र में दफ़न होने के बाद भी <br />
चाहत हैं<br />
तुम्हारे हाथ से छु कर<br />
रखे दो फूलो की<br />
जिनकी महक में मैं <br />
तुम्हारी सुंगंध <br />
को खुद में बसा लूँगा<br />
आ जाना प्रिय <br />
मैं फिर से देखूँगा<br />
वो प्यार <br />
जो मैंने अपने लिए<br />
हर पल तुम्हारी आँखों में <br />
महसूस किया<br />
ना जानू तुम अपने एहसास<br />
जान नहीं पाई या <br />
कोई और बंधन तुम्हे रोका था<br />
ये तो कह ना सकोगी तुम<br />
प्यार ना था<br />
क्या था वो<br />
जब तुम अपने बालकनी में <br />
कपडे सुखाने के बहाने<br />
मेरा इंतज़ार करती थी<br />
क्या था वो<br />
जब तुम अपने रास्ते में <br />
मुझे खड़ा देख कर<br />
मुस्कुराती हुई <br />
आगे बढ़ जाती थी<br />
क्या था वो<br />
जब जानते हुए की मैं ही हूँ<br />
फोन उठा के <br />
" कौन", " कौन", " कौन",<br />
कहकर <br />
अपनी मीठे स्वर का रस<br />
मेरे कानो में घोल देती थी<br />
क्या था वो <br />
जब तुम बिना अपना नाम लिखे<br />
वो खाली चिट्ठी मेरे घर भेज देती थी<br />
क्या था वो<br />
जब मेरे दरवाज़े के सामने से <br />
गुजरते वक़्त<br />
रुक कर मुझे खोजती थी<br />
मैं बहार आ जाऊ इसलिए<br />
अपनी पायल खनखाती थी<br />
क्या था वो<br />
जब मंदिर जाकर मेरे लिए<br />
इश्वर से दुआ मांगती थी <br />
हां! सुना है छुप छुप कर <br />
मैंने तुम्हारी उन दुआओ को<br />
छुप कर देखी हैं मैंने <br />
तुम्हारी आँखों में <br />
मुझे एक झलक <br />
देख पाने की <br />
बैचैनी <br />
हां मैं जानता हूँ<br />
तुम्हे प्यार हैं मुझसे<br />
और जानता हूँ<br />
समाज के डर से <br />
कह ना पाई कभी<br />
तुम्हारी इस ख़ामोशी को<br />
सह पाने की मुझमे <br />
और हिम्मत ना थी<br />
पर चाहत है मुझमे अब <br />
भी तुमसे मिलने की<br />
प्रियतम! अब तुम <br />
मंदिर के बहाने <br />
घर से निकल कर<br />
दो फूलो से महका <br />
देना मुझे <br />
मेरी कब्र पे <br />
तुम्हारा स्पर्श<br />
मुझे फिर से साँसे देगा<br />
मुझे लगेगा जी रहा हूँ मैं<br />
स्पर्श कर पा रहा हूँ <br />
तुम्हारा प्यार<br />
हां! मुझे चाहत है अब भी. <br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-21273592506815252032011-10-03T07:03:00.001-07:002011-10-03T07:03:39.845-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">आग की लपट में <br />
शीतलता पा रहा होगा <br />
जब ये तन<br />
तुम अपनी आँखों को<br />
आंसुओ से मत जलाना<br />
सिसकेगी मेरी आत्मा <br />
जब कोई और <br />
मेरे नाम का आंसू <br />
तुम्हारे चेहरे से पोछेगा <br />
इस संसार की सीमाओ <br />
में साथ <br />
ना रह सके तो क्या<br />
बन के हवा का <br />
खुशबूदार झोका<br />
महकाऊँगा मैं तुम्हारा जीवन<br />
मेरी चिता की अग्नि को<br />
अपनी आँखों में <br />
याद बना कर बसा लेना<br />
देह की चुटकी भर राख से<br />
अपनी मांग सजा लेना<br />
याद करना मुझे जब भी<br />
अपने कमरे के किवाड़ खोल लेना<br />
आऊंगा मैं तुमसे मिलने <br />
बैठूँगा वैसे ही <br />
तुम्हारा हाथ थाम कर <br />
धूप जब लगेगी मेरे चेहरे पर <br />
तुम अपनी ओढनी से वैसे ही ढक लेना<br />
फिर तुम्हारी गोद में सर रख कर <br />
सो जाऊंगा<br />
आता रहूँगा यूँ ही<br />
हर बार तुमसे मिलने<br />
बस तुम मेरे मिलन की चाह<br />
को अपने दिल से कभी ना मिटाना.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-28202659657814057572011-09-14T07:59:00.000-07:002011-09-14T07:59:41.264-07:00पढो ज़रा...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEii1V0vBt9TKt34f40VPOUgUz-hClKih5b_gHkx0gjo96EutCuTBXaI5hu0gx8DOmh_JxGz0xohuzsiNKgcT512Q9YWvcfZMdxNc5szthPCy-_Rzw76q229gE8IQ19IgKNsmSWIx7dcFUU/s1600/DSC00251.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEii1V0vBt9TKt34f40VPOUgUz-hClKih5b_gHkx0gjo96EutCuTBXaI5hu0gx8DOmh_JxGz0xohuzsiNKgcT512Q9YWvcfZMdxNc5szthPCy-_Rzw76q229gE8IQ19IgKNsmSWIx7dcFUU/s200/DSC00251.JPG" width="200" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">listen ज़रा..</td></tr>
</tbody></table><div style="text-align: justify;"> कल १३ सितम्बर २०११ का दिन मेरे और मेरे क्लास ( एम.जे.एम.सी. ३ सेमेस्टर, लखनऊ विश्विद्यालय ) के सभी स्टुडेंट्स के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था. कल हम सबको मुकुल सर के सहयोग से अपनी रचनात्मकता को लोगो के सामने प्रस्तुत करने का मौका मिला. ये प्रस्तुतीकरण हम सबने एक रेडियो इवेंट के ज़रिये किया जिसका नाम था listen ज़रा....</div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9ugqfM_i15kRg0JHfwI-kMCMdkxSZUK_Rmiuow3PgfTm7QtZjiImiiNAUCciRJMIeshFdCxSKA9BjjKAxAXDf3o50Is4b0klvtLiTMElMaCDBf-94LIcnaTjoD5gyfSQDyBZgTM6wNl8/s1600/100_4171.JPG" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9ugqfM_i15kRg0JHfwI-kMCMdkxSZUK_Rmiuow3PgfTm7QtZjiImiiNAUCciRJMIeshFdCxSKA9BjjKAxAXDf3o50Is4b0klvtLiTMElMaCDBf-94LIcnaTjoD5gyfSQDyBZgTM6wNl8/s200/100_4171.JPG" width="150" /></a><br />
<div style="text-align: justify;"> इस प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में हमारा साथ प्रो.ए.के.सेनगुप्ता, डॉ.आर.सी.त्रिपाठी, प्रो. राकेश चंद्रा, प्रो.मनोज दीक्षित, और रेड एफ एम के मशहूर आर जे आमिर ने दिया. आर जे आमिर की उपस्थिति ने सभी स्टुडेंट्स को जोश से भर दिया था. अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर के इवेंट का शुभ आरम्भ किया. </div><div style="text-align: justify;"> </div><div style="text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEieYQQkluyfPTAlmDp61aH6TcsMof3NRJ6OA4dE9Ip6PCulYs0gHzx4EZbQ3b3HTXWYQG-ckKeHeYvrFUseb0YrnbrKAf0vsf_KOI9OumVa1_HkshWQqz_JZ01B3xh0xBlcmR-jRGJ2dgU/s1600/100_4178.JPG" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEieYQQkluyfPTAlmDp61aH6TcsMof3NRJ6OA4dE9Ip6PCulYs0gHzx4EZbQ3b3HTXWYQG-ckKeHeYvrFUseb0YrnbrKAf0vsf_KOI9OumVa1_HkshWQqz_JZ01B3xh0xBlcmR-jRGJ2dgU/s200/100_4178.JPG" width="200" /></a>इसके बाद अतिथियों ने स्टुडेंट्स की बनायीं हुई सीडी का विमोचन किया.हमारे एंकर्स ने अपने चुटीले अंदाज़ में प्रोग्राम को आगे बढाते हुए उस सीडी में कैद हम सबकी आवाजों को वहा बैठी जनता तक पहुचाया. स्टुडेंट्स ने गीतों भरी कहानी में जिंदगी के सफर के अलग अलग आयामों - बचपन, दोस्ती, मन, तनहाई, मौत, आंखें, चेहरा, रात, सावन को पेश किये. साथ ही रेडियो नाटक के ज़रिये हमने अपने समाज की व्यथा को लोगो तक पहुचाया. हमारे काम को सुनने के बाद अतिथियों ने उसको सराहा भी और साथ ही कमिया भी बताई. </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioW8pJKldjCsyBRqOEyepP-RYFxH6YIF5I3fW_GoXKS3BlGXfocxs3NMggIyAwjCsjCNEKYCPo80ArJ-39iz3NBKwSheEtd5ShhpHDesErf0cSd_s5C08Ej8q7subLGZzRPR-fH0XpF3U/s1600/100_4236.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioW8pJKldjCsyBRqOEyepP-RYFxH6YIF5I3fW_GoXKS3BlGXfocxs3NMggIyAwjCsjCNEKYCPo80ArJ-39iz3NBKwSheEtd5ShhpHDesErf0cSd_s5C08Ej8q7subLGZzRPR-fH0XpF3U/s200/100_4236.JPG" width="200" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">फीडबैक बोर्ड</td></tr>
</tbody></table><div style="text-align: justify;">आर जे आमिर ने जर्नालिस्म स्टुडेंट्स के कुछ सवालों का भी जवाब दिया और बताया की एक अच्छा आर जे बनने के लिए आत्मविश्वास, शब्दों का जाल और तुरंत जवाब देने की क्षमता होनी चाहिए. अपने सहज अंदाज़ में स्टुडेंट्स से बात कर के उन्होंने सबके बीच एक अलग जगह बना ली.</div><div style="text-align: justify;"><br />
इवेंट कब शुरू होकर कब अपने अंतिम पड़ाव पे आ गया, पता ही नहीं चला. सभी ने पूरे इवेंट को खूब एन्जॉय किया. अतिथियों ने फीडबैक बोर्ड पर अपने फीडबैक दिए जिसे पढ़ कर स्टुडेंट्स का मनोबल बढ़ा.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhtxAVhyphenhyphenTMwB_JlBZTowGsi7qm9LffkHwi5wBFitHY4hDuT3ksSeoKPGgRdYf_BHUgQA-gTFvtjCvGDe4PtKtfUQNAq4gryxUEikJVkJp5aGRRaJDPraL6nZI3hbPf2zaDUNIoePmCTO3o/s1600/DSC00363.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="150" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhtxAVhyphenhyphenTMwB_JlBZTowGsi7qm9LffkHwi5wBFitHY4hDuT3ksSeoKPGgRdYf_BHUgQA-gTFvtjCvGDe4PtKtfUQNAq4gryxUEikJVkJp5aGRRaJDPraL6nZI3hbPf2zaDUNIoePmCTO3o/s200/DSC00363.JPG" width="200" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">स्टुडेंट्स की मस्ती</td></tr>
</tbody></table>इवेंट के ख़त्म होने के बाद शुरू हुई हम स्टुडेंट्स की मस्ती. हम सब मिलकर खूब झूमे, नाचे, चिल्लाये, या यूँ कहे कि हमने अपने इवेंट की सफलता का जश्न मनाया. अगर मुकुल सर का सपोर्ट नहीं होता तो ये इवेंट कभी भी सक्सेसफुल नहीं बन पाता.<br />
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjV-SUTSSCpj-Z3V0q0Lh2PgRbcMi_rmu8AZ6w2KJsBATMkgl3kEwdTSfzBkQ2OjK25ccgZBhReuvOFwK3O23GpB8PpKormbjIfdivvY_bQ8txPdHSZ8310E1uqnaZG5oY6lMR-KeWF74/s1600/DSC00361.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjV-SUTSSCpj-Z3V0q0Lh2PgRbcMi_rmu8AZ6w2KJsBATMkgl3kEwdTSfzBkQ2OjK25ccgZBhReuvOFwK3O23GpB8PpKormbjIfdivvY_bQ8txPdHSZ8310E1uqnaZG5oY6lMR-KeWF74/s200/DSC00361.JPG" width="150" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">our गुरु- मुकुल सर (center) </td></tr>
</tbody></table><br />
इस पूरे इवेंट के दौरान हमने बहुत कुछ सीखा- ग्रुप में काम करना, अपने पर विश्वास रखना, हौसला बनाये रखना, समय के पाबंद रहना...ये सब सीख पाए मुकुल सर के कारण. अगर वो इस तरह का कोई इनिशीएटिव ना लेते तो हम स्टुडेंट्स इस खूबसूरत अनुभव से कभी न गुज़र पाते और इन बातो को ना सीख पाते.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-12578383209699932292011-08-09T07:49:00.001-07:002011-08-09T07:49:48.946-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">श्रृंगार कर के बैठी, खूबसूरत लगती है वो नारी,<br />
अपने हक के लिए आवाज़ उठा दे,<br />
संस्कारहीन कह दे दुनिया सारी,<br />
धैर्य देखा है सबने,<br />
दहक के दर्शन बाकी हैं,<br />
जल जाएगी वो इसमें, <br />
या दुनिया का जलना बाकी हैं,<br />
अपनों की खुशियों की महक से खुश रही,<br />
अस्तित्व बोध के लिए लड़ना बाकी हैं,<br />
हर मोड़ पे अंगारे बिछाए अपनों ही ने,<br />
अपने लिए खूबसूरत रास्ता बनाना उसका बाकी हैं,<br />
जन्मदात्री तो बन गयी वो जीवन की,<br />
अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेना अभी बाकी हैं,<br />
स्त्री रूप की पहचान बन गयी,<br />
मनुष्य रूप में पहचान बनाने की आस अभी बाकी हैं,<br />
डटी है वो सबके समक्ष, अकेले में आंसू बहाए,<br />
साथ देना आप भी, लड़ते लड़ते कही टूट ना जाए.<br />
</div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-10878539811073156782011-07-31T11:02:00.000-07:002011-07-31T11:02:47.956-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: small;">कभी खुद से पहचान,</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी अनजान हूँ मैं,</span><br />
<span style="font-size: small;"><br />
</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी सपनो से पूर्ण,</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी अधूरा ख्वाब हूँ मैं,</span><br />
<span style="font-size: small;"><br />
</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी उडती तितली,</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी टूट चुके पंख वो परिंदा हूँ मैं,</span><br />
<span style="font-size: small;"><br />
</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी संगीतमय बांसुरी,</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी बिखरी लय ताल हूँ मैं,</span><br />
<span style="font-size: small;"><br />
</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी हर जवाब,</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी खुद के लिए सवाल हूँ मैं.</span></div>दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-29425113961033237652011-07-24T09:44:00.000-07:002011-07-24T09:44:20.122-07:00पास अपने आना चाहती हूँ<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZvQTgR9CqGIpB1X4hhwMM6Ke_D0WVTOO9zY37j89zvI8xA_mMjTQKG1DWEp3OUlGOVGiwcx3qdJVl4leuM6NOmhxVRait2l1Mc2yOT6ZFVTTnUVQM2s_0_VovnDK_YoZ6eiCAF3XS0CQ/s1600/nature-wallpaper-90.jpg" imageanchor="1" style="margin-left:1em; margin-right:1em"><img border="0" height="240" width="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZvQTgR9CqGIpB1X4hhwMM6Ke_D0WVTOO9zY37j89zvI8xA_mMjTQKG1DWEp3OUlGOVGiwcx3qdJVl4leuM6NOmhxVRait2l1Mc2yOT6ZFVTTnUVQM2s_0_VovnDK_YoZ6eiCAF3XS0CQ/s320/nature-wallpaper-90.jpg" /></a></div><br />
दूर कहीं सबसे जाना चाहती हूँ,<br />
खुले आसमां के तले बैठना चाहती हूँ,<br />
जहा हवा की बयार मन को बहलाए,<br />
सागर की लहरें दिल को छू जाए,<br />
बस चिड़ियों की चहक,फूलो की महक हो जहा,<br />
कोई पहचाना चेहरा ना हो वहा,<br />
मुझे ना खबर हो जहा दिन और रात की,<br />
बातें ना हो जहा झूठे जज़्बात की,<br />
रिश्तो के नाम पे जहा ठगी ना हो,<br />
खंज़र किसी के दिल पे प्यार की लगी ना हो,<br />
जहा मैं अपनी हसी सुन पाऊ,<br />
अपने अश्को की बूँद गिन पाऊ,<br />
अपनी साँसों की महक पाना चाहती हूँ,<br />
दूर सबसे पर पास अपने आना चाहती हूँ,<br />
दूर कहीं सबसे जाना चाहती हूँदस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-33290069143815746302011-07-18T09:43:00.000-07:002011-07-18T09:43:51.136-07:00लिखने बैठे ख़ुशी,<br />
हर बार कलम<br />
तन्हाई लिख गई,<br />
बेवफा ना थे हम कभी,<br />
उनकी नजरो में अपनी बेवफाई दिख गयी,<br />
मेरे उनकी ओर बढ़ते कदम ना देखे उन्होंने,<br />
हमारे बीच की उन्हें पर गहराई दिख गयी,<br />
अलविदा कह कर चल दिए वो,<br />
जैसे जानते ही ना थे,<br />
उनके जाने के बाद<br />
हम जैसे खुद को पहचानते ही ना थे,<br />
देखा एक रोज़ खुश उनको<br />
हम खुद को पहचानने लग गये,<br />
तन्हा हैं फिर भी हम,<br />
अपने को संभालने लग गये.दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-87344695802770998102011-07-14T06:46:00.001-07:002011-07-14T06:46:24.937-07:00काश दिल में भी एक दिल होताकाश दिल में भी एक दिल होता,<br />
पनप सकते उसमे भी कुछ एहसास,<br />
दिल किसी का तनहा न होता,<br />
हो सकती दिल की दिल से बात,<br />
एक दिल उदास होता,<br />
दूसरा उसपर खुशियाँ लुटाता,<br />
एक टूट भी जाता दर्द से कभी,<br />
दूसरा मरहम लगाता,<br />
खुश होते दोनों<br />
मिलकर जश्न मनाते,<br />
साथ हँसते कभी,<br />
कभी दिल भर के खिलखिलाते,<br />
काश दिल में भी एक दिल होता,<br />
पनप सकते उसमे कुछ एहसास.दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-31309793451114894562011-06-27T05:55:00.000-07:002011-06-27T05:55:25.000-07:00ये सफ़र कितनी ही कहानियाँ दे गया,<br />
हर लम्हे में जिंदगानियां दे गया,<br />
कभी आँख से गिरता आंसू रुसवाई,<br />
तो कभी कोई अपना जुदाई दे गया,<br />
कभी कुछ सपने शीशे से टूट गये,<br />
कभी हम अपनों से,कभी वो हमसे रूठ गये,<br />
कभी चीखती रही ख़ामोशी,<br />
कभी महफ़िल भी खामोश हो गयी,<br />
कभी फासलों का मंज़र था,<br />
कभी चारो ओर बंजर था,<br />
फिर भी खुद को संभालते हैं हम,<br />
खोते है खुद को तो तलाशते भी हैं,<br />
रोते हैं कभी तो मुस्कुराते भी हैं,<br />
तन्हाई के सफ़र में चाहे जहा निकल जाए,<br />
लौट के अपने पास आते ही हैं.दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-19148182368569635872011-06-24T08:55:00.000-07:002011-06-24T08:55:19.379-07:00हर आहट पर उनका ख्याल आया,<br />
वो ना आये,पैगाम हर बार आया,<br />
पैगाम में उनका चेहरा मुस्कुराता हैं,<br />
दर्द हर अक्षर का मुझको सताता हैं, <br />
कह ना पाए मिल कर जो कभी,<br />
लिख दी वो बातें पन्ने पर सभी,<br />
जान कर ये अब दिल इतराए, <br />
या आँखों को ये रुलाये,<br />
कह कर गये थे लौटेंगे वो,<br />
वापस तो अब तक ना आये,<br />
चेहरा है उनका यादो में अब भी,<br />
भरोसा हैं हमको वादों में अब भी,<br />
हर आहट पर उनका ख्याल आया,<br />
वो ना आये,पैगाम हर बार आया.दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-81309199759750083982011-06-16T09:09:00.000-07:002011-06-16T09:09:52.769-07:00यादो का पिटारानगमे हैं, शिकवे हैं, किस्से हैं, बातें हैं,<br />
बातें भूल जाती हैं,<br />
यादे याद आती हैं....<br />
<br />
हम सभी की ज़िन्दगी में तमाम यादें होती हैं जो हमारे दिल में बसी होती हैं. ये यादें किसी डायरी, फोटो, कार्ड, गिफ्ट, या लैटर के रूप में हमारे यादो के पिटारे में कैद होती हैं. जब भी हम अपने उस पिटारे को खोलते हैं तो उन सभी यादो का स्पष्ट चित्र हमारी आँखों के सामने बन जाता हैं और हमारे दिल को शायद ठीक ऐसा महसूस होता हैं की हम किसी मशीन के ज़रिये वापस उस वक़्त में लौट गये हैं.<br />
<br />
ये वो लम्हे होते हैं जिनको जीते वक़्त हमको ये एहसास भी नहीं होता हैं के इनके बीतने के बाद इनकी हू-ब-हू तस्वीर हमारे दिल में छप जायेगी. ऐसे लम्हों से हर एक की ज़िन्दगी सजी होती हैं. इन लम्हों को इंसान अपनी आखिरी सांस तक नहीं भूलता. पहली बार स्कूल जाना, लाइफ की फर्स्ट फ्रेंड, एग्जाम के टाइम माँ का रात भर साथ में जागना, दोस्तों के साथ आढे तिरछे मुह बनाते हुए तस्वीरे खिचवाना, सरप्राइज पार्टी देना, कॉलेज में एडमिशन की एक्साइटमेंट के साथ १२ क्लास की फैरवल पार्टी, पहली बार खुद को साडी में संभालना, पापा की दी हुई सीख को डायरी में नोट करना, अपने लाइफ के फर्स्ट क्रश के लिए लिखा गया लैटर....ऐसी न जाने कितनी ही यादे हम अपने उस बक्से में कैद कर के रखते हैं. मैंने अगर अपने जीवन के इन सभी पलो को किसी न किसी रूप में अपने पिटारे में ना भी संजोया होता, फिर भी मैं इनका चित्र अपनी आँखें बंद करने पर देख सकती हूँ और अगर मैं चित्रकार होती तो इन सभी खूबसूरत चित्रों को कागज़ पर ज़रूर उकेरती.<br />
<br />
आप सबको ये लग रहा होगा की मैं सिर्फ खूबसूरत यादो की बात कर रही हूँ जबकि जीवन में तो कडवी यादें भी होती हैं. दोस्तों हमने जब उन बुरे पलो को जिया था तब हमें जितना घुटना था, सहना था वो सह चुके. अब अगर हम फिर से उन बुरी यादो को टटोलेंगे तो अपना आज खराब करेंगे तो क्यों हम बार बार उन पलो को याद करे जिसमे सिर्फ दर्द, तकलीफ, सन्नाटा और आंसू हैं.<br />
<br />
अगर आपको अपनी ज़िन्दगी की उन तमाम खूबसूरत यादो का चित्र अपनी आखें बंद करने पर कुछ धुंधला नज़र आ रहा हैं तो मेरी आपसे ये गुजारिश हैं की अपनी उन यादो के पिटारे को अपनी अलमारी में बंद ना रखे, उसको खोलकर, उसमे मौजूद तमाम गिफ्ट, चिट्ठिया, तस्वीरे, डायरी को छूकर, देखकर, पढ़कर, महसूस करके फिर से उन यादो का रंग अपनी ज़िन्दगी में चढ़ा लीजिये. और हां! एक बार उस खूबसूरत गुलाब को उठाकर उसको अपनी नाक के करीब ज़रूर ले जाइएगा, आपको उसकी महक ठीक वैसी ही महसूस होगी जैसी की गुलाब को डायरी में रखते वक़्त हुई थी. <br />
<br />
ये यादें हैं तो हम हैं,<br />
हमारी मुस्कराहट हैं,<br />
दूर हो हम आपसे जितना भी,<br />
पर ज़िन्दगी में आपकी आहट हैं,<br />
हर एक की ज़िन्दगी कुछ आहत हैं,<br />
पर हमको अपनी जिंदगी को, अपनी यादो से,<br />
जिंदा रखने की चाहत हैं.दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-538424075577469216.post-54894154874226529042011-05-27T07:30:00.001-07:002011-05-27T07:30:41.669-07:00ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?<br />
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?<br />
कोई नहीं है पास,<br />
तनहा मैं और खयालात हैं मेरे,<br />
मीलो वीरानी छाई हैं,<br />
ना चाहते हुए भी याद किसी की आई हैं,<br />
कह दो इन यादो से सताए ना मुझको,<br />
बे-मतलब रुलाये ना मुझको,<br />
रुमाल अब आंसुओं को सोखता नहीं,<br />
कोई किसी के आंसू पोछता नहीं,<br />
इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,<br />
दूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,<br />
ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?<br />
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?दस्तकhttp://www.blogger.com/profile/01936017523095891153noreply@blogger.com8