आग की लपट में
शीतलता पा रहा होगा
जब ये तन
तुम अपनी आँखों को
आंसुओ से मत जलाना
सिसकेगी मेरी आत्मा
जब कोई और
मेरे नाम का आंसू
तुम्हारे चेहरे से पोछेगा
इस संसार की सीमाओ
में साथ
ना रह सके तो क्या
बन के हवा का
खुशबूदार झोका
महकाऊँगा मैं तुम्हारा जीवन
मेरी चिता की अग्नि को
अपनी आँखों में
याद बना कर बसा लेना
देह की चुटकी भर राख से
अपनी मांग सजा लेना
याद करना मुझे जब भी
अपने कमरे के किवाड़ खोल लेना
आऊंगा मैं तुमसे मिलने
बैठूँगा वैसे ही
तुम्हारा हाथ थाम कर
धूप जब लगेगी मेरे चेहरे पर
तुम अपनी ओढनी से वैसे ही ढक लेना
फिर तुम्हारी गोद में सर रख कर
सो जाऊंगा
आता रहूँगा यूँ ही
हर बार तुमसे मिलने
बस तुम मेरे मिलन की चाह
को अपने दिल से कभी ना मिटाना.
शीतलता पा रहा होगा
जब ये तन
तुम अपनी आँखों को
आंसुओ से मत जलाना
सिसकेगी मेरी आत्मा
जब कोई और
मेरे नाम का आंसू
तुम्हारे चेहरे से पोछेगा
इस संसार की सीमाओ
में साथ
ना रह सके तो क्या
बन के हवा का
खुशबूदार झोका
महकाऊँगा मैं तुम्हारा जीवन
मेरी चिता की अग्नि को
अपनी आँखों में
याद बना कर बसा लेना
देह की चुटकी भर राख से
अपनी मांग सजा लेना
याद करना मुझे जब भी
अपने कमरे के किवाड़ खोल लेना
आऊंगा मैं तुमसे मिलने
बैठूँगा वैसे ही
तुम्हारा हाथ थाम कर
धूप जब लगेगी मेरे चेहरे पर
तुम अपनी ओढनी से वैसे ही ढक लेना
फिर तुम्हारी गोद में सर रख कर
सो जाऊंगा
आता रहूँगा यूँ ही
हर बार तुमसे मिलने
बस तुम मेरे मिलन की चाह
को अपने दिल से कभी ना मिटाना.
Dastak ....lajabab rachana ji bahut sundar...bas tum mere milal ki chah ko aapne dil se kabhi nahi mitana.....awesome lines
ReplyDeleteDhananajay Mishra
Bahut hi khubsurat rachna.
ReplyDeleteज़बरदस्त भावपूर्ण रचना जो दिल को छु गई आभार
ReplyDeleteसमय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
गहन भावों की सुंदर अभिव्यक्ति बधाई .....
ReplyDeleteसुन्दर भाव.....
ReplyDeleteNice .
ReplyDeleteज़ुबां से कहूं तो है तौहीन उनकी
वो ख़ुद जानते हैं मैं क्या चाहता हूं
-अफ़ज़ल मंगलौरी
जब से छुआ है तुझको महकने लगा बदन
फ़ुरक़त ने तेरी मुझको संदल बना दिया
-अलीम वाजिद
http://mushayera.blogspot.com/2011/10/blog-post_04.html
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकल 05/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
wondeful lines..what more cud be said...speechless....
ReplyDeletebeautiful lines:)
ReplyDelete@ anonymous , aashish ahuja ji...thnx a lot
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...सादर !!!
ReplyDeleteआग की लपटों में
ReplyDeleteशीतलता पा रहा होगा
जब ये तन....
उत्तम लेखन... अद्भुत रचना...
सादर बधाई...