कभी खुद से पहचान,
कभी अनजान हूँ मैं,
कभी सपनो से पूर्ण,
कभी अधूरा ख्वाब हूँ मैं,
कभी उडती तितली,
कभी टूट चुके पंख वो परिंदा हूँ मैं,
कभी संगीतमय बांसुरी,
कभी बिखरी लय ताल हूँ मैं,
कभी हर जवाब,
कभी खुद के लिए सवाल हूँ मैं.
कभी अनजान हूँ मैं,
कभी सपनो से पूर्ण,
कभी अधूरा ख्वाब हूँ मैं,
कभी उडती तितली,
कभी टूट चुके पंख वो परिंदा हूँ मैं,
कभी संगीतमय बांसुरी,
कभी बिखरी लय ताल हूँ मैं,
कभी हर जवाब,
कभी खुद के लिए सवाल हूँ मैं.