Thursday, August 23, 2012

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कुछ नादां ख्वाइशे है मेरी
पूरी करने की कोशिश जिन्हें मैं करती रहूँ,
पता ना हो जाना कहा हैं
कदम मेरे चलते रहे,
आशाएं मेरी ना डूबे
सूरज चाहे ढलता रहे,
शोर मेरा ना सुन पाए कोई
खामोशी अपनी मैं सुनती रहूँ,
लब पर बस मुस्कराहट हो
गम दिल में चाहे पलता रहे,
पता ना हो लिखना क्या हैं
पर कलम मेरी चलती रहे,
खो जाऊ मैं सबके लिए
खुद के लिए पलती रहूँ,
रौशनी में भी चाहे ना पहचाने कोई
अँधेरे में खुद से मगर में मिलती रहूँ,
डर ना हो मौत का मुझे
उसे अपना समझ मैं फिरती रहूँ.
कुछ नादां ख्वाइशे है मेरी
पूरी करने की कोशिश जिन्हें मैं करती रहूँ.

3 comments:

  1. KOSHISH AKSAR KAMYAB HOTI HE,.....

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  2. भावो को शब्द दे दिए आपने......

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  3. Wow, keep it up u grab the emotions very easily

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