इतनी उम्मीदे मेरी टूटेंगी सोचा ना था,
महफ़िल मेरी छूटेगी सोचा ना था,
हर आंसू के बदले हंसाया जाता था,
हंसी भी कभी रोएगी सोचा ना था,
आँखें बंद करने पर भी देखती थी जिनको,
आस-पास ना पाउंगी सोचा ना था,
गिरने की फ़िक्र कभी होती ना थी,
चलने से भी घबराउंगी सोचा ना था,
सबमे खो कर खुश थी इतना,
खुद को ना पाऊँगी सोचा ना था,
इतनी उम्मीदे मेरी टूटेंगी सोचा ना था,
महफ़िल मेरी छूटेगी सोचा ना था.
gud 1..
ReplyDeleteyahi sochta hun main bhi aksar
ReplyDeletesath me friend na honge
hoga facebook aur twiter
sundar bhav ke saath likhi gayi sundar panktiyan
ReplyDeleteहर आंसू के बदले हंसाया जाता था,
ReplyDeleteहंसी भी कभी रोएगी सोचा ना था,
आँखें बंद करने पर भी देखती थी जिनको,
आस-पास ना पाउंगी सोचा ना था,
क्या लिखा है आपने ..वाह!
सादर
bahut dino baad ...... achche udgaar ..... keep it up ishaa!!
ReplyDeleteaapki kavita padhkar laga kya kabhi aisa bhi mere sath hoga socha na tha
ReplyDelete@ archana,meraj,sanjay ji, yashwant ji,sir nd sanjeev ji aap sabhi ka bht bht dhanyawaad..!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने
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