ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
कोई नहीं है पास,
तनहा मैं और खयालात हैं मेरे,
मीलो वीरानी छाई हैं,
ना चाहते हुए भी याद किसी की आई हैं,
कह दो इन यादो से सताए ना मुझको,
बे-मतलब रुलाये ना मुझको,
रुमाल अब आंसुओं को सोखता नहीं,
कोई किसी के आंसू पोछता नहीं,
इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,
दूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,
ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,
ReplyDeleteदूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,
बहुत दर्द समेट लिया है इस कविता में.
सादर
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
ReplyDeleteसवालों के जवाब ढूँढें, रास्ता ज़रूर मिलेगा.....
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
ReplyDeleteसवालों का जबाब भी आप ही को खोजना है , खुबसूरत अहसास , बधाई
ओ बहना,
ReplyDeleteबड़े नाज़ुक हैं हालात तेरे
जायज़ हैं पर सवालात तेरे
तन्हाई में घुटती है क्यों
जवानी के हैं दिन-रात तेरे
बाहर निकल और घूम फिर
ताज़ा हो जाएंगे जज़्बात तेरे
दुखों को भूलकर मुस्कुराना सीख ले
दूर हो जाएंगे सारे सदमात तेरे
बहुत अच्छे जज़्बात।
हमारे ब्लॉग पर भी तो आइये आप कभी।
आपकी इंतज़ार में
अनवर जमाल
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/05/blog-post.html
कश्मकश ....
ReplyDeleteइसी को तो प्यसुदंर रचना। पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ। पर आना सफल हुआ। आभार।ार कहते है।
ReplyDeleteआपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
ReplyDeleteनयी-पुरानी हलचल
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.