नारी - नाम है सम्मान का, या
समाज ने कोई ढोंग रचा है.
बेटी - नाम है दुलार का, या
समाज के लिए सजा है.
पत्नी - किसी पुरुष की सगी है, या
यह रिश्ता भी एक ठगी है.
माँ - ममता की परिभाषा है, या
होना इसका भी एक निराशा है.
नारी - नाम है स्वाभिमान का, या
इसका हर रिश्ता है अपमान का.
समाज ने कोई ढोंग रचा है.
बेटी - नाम है दुलार का, या
समाज के लिए सजा है.
पत्नी - किसी पुरुष की सगी है, या
यह रिश्ता भी एक ठगी है.
माँ - ममता की परिभाषा है, या
होना इसका भी एक निराशा है.
नारी - नाम है स्वाभिमान का, या
इसका हर रिश्ता है अपमान का.
बाप रे...लगता है बहुत गुस्से मे लिखा है...लेकिन अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteसादर
gusse me nahi likha hai.... thnx :-))
Deleteबाल- विवाह कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये !
ReplyDeleteaap ki yae kavita naari kavita blog par dena chahtee hun kripaa kar kae email indianwomanhasarrived@gmail.com par swikriti dae
ReplyDeleteआज की सच्चाई से रूबरू कराती रचना आभार
ReplyDeletebhut acha likha hai
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