काश, मैं लिख पाऊ एक कविता
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे,
माँ सी ममता है तुमसे
बहन सा दुलार भी हैं
आशिकों सा जूनून है
दोस्त सा साथ भी हैं,
पत्नी सा प्यार हैं,
बेटी सा विश्वास भी हैं,
स्त्री के हर रूप का एहसास
दिलाता है तुम्हारा साथ
काश, मैं लिख पाऊ एक कविता
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे.
नारी को रूपायित करती पंत जी की एक पंक्ति याद आ गई -
ReplyDelete'देवि,माँ ,सहचरि,प्राण! '
dhnyawaad pratibha ji :)
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
नारी हर रूप में साथ देती है ... पालती है पुरुष कों हर रूप में ...
ReplyDeleteएहसास लिए लाजवाब कविता ...
aap sabhi ka shukriya :-))
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