कभी खुद से पहचान,
कभी अनजान हूँ मैं,
कभी सपनो से पूर्ण,
कभी अधूरा ख्वाब हूँ मैं,
कभी उडती तितली,
कभी टूट चुके पंख वो परिंदा हूँ मैं,
कभी संगीतमय बांसुरी,
कभी बिखरी लय ताल हूँ मैं,
कभी हर जवाब,
कभी खुद के लिए सवाल हूँ मैं.
कभी अनजान हूँ मैं,
कभी सपनो से पूर्ण,
कभी अधूरा ख्वाब हूँ मैं,
कभी उडती तितली,
कभी टूट चुके पंख वो परिंदा हूँ मैं,
कभी संगीतमय बांसुरी,
कभी बिखरी लय ताल हूँ मैं,
कभी हर जवाब,
कभी खुद के लिए सवाल हूँ मैं.
हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार को
ReplyDeleteब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के अपने विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं। ब्लॉग पर आयोजित होने वाली मीट में वे ब्लॉगर्स भी आ सकती हैं / आ सकते हैं जो कि किसी वजह से अजनबियों से रू ब रू नहीं होना चाहते।
बहुत खुबसूरत...
ReplyDeleteWAH....BAHUT KHUBSURAT RACHANA
ReplyDeletelajawab...
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