लिखने बैठे ख़ुशी,
हर बार कलम
तन्हाई लिख गई,
बेवफा ना थे हम कभी,
उनकी नजरो में अपनी बेवफाई दिख गयी,
मेरे उनकी ओर बढ़ते कदम ना देखे उन्होंने,
हमारे बीच की उन्हें पर गहराई दिख गयी,
अलविदा कह कर चल दिए वो,
जैसे जानते ही ना थे,
उनके जाने के बाद
हम जैसे खुद को पहचानते ही ना थे,
देखा एक रोज़ खुश उनको
हम खुद को पहचानने लग गये,
तन्हा हैं फिर भी हम,
अपने को संभालने लग गये.
वाह। बेहद खुबसुरत। उनकी खुशी में ही तो अपनी खुशी होती है।
ReplyDeleteखुबसूरत अहसास ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteसादर
अच्छी रचना...
ReplyDeletethnx to all of u... :)
ReplyDeletedil k ehsaso ko sunder shabd diye hain.
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास.
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