Tuesday, January 4, 2011

एक आदमी की जान जाती है, उनका कुछ नहीं होता...

आप सब इस बात से वाकिफ होंगे कि इस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कुमारी मायावती देवी लखनऊ की दशा को सुधारने की कोशिश कर रही हैं। उनकी इस कोशिश में तमाम मजदूर दिन-रात सड़कों पर मेहनत करते नजर आ रहे हैं। लखनऊ के लगभग हर इलाके में निर्माण कार्य चल रहा है। यह योजना इतनी तेज गति से चल रही है कि इनके सामने एक व्यक्ति के जीवन को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है।

27 दिसंबर 2010 को शाम 7:15 बजे गोमती नगर, लखनऊ के एक निर्माणधीन स्थल पर 22 साल का मजदूर मोहम्‍मद इनामुल निर्माण के लिए खोदे गये गड्ढे में जा गिरा। उसके गड्ढे में गिरने के बाद चारों ओर की सूखी मिट्टी उसके ऊपर लगातार गिरती चली गयी और वह उस मिट्टी के ढेर में दब गया। उसके ऊपर से मिट्टी के ढेर को हटाने के लिए आसपास मौजूद अन्य मजदूरों ने हावड़े और जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया। करीब पांच घंटो की कड़ी मेहनत के बाद रात्रि ग्‍यारह बजे इनामुल निकाला तो गया, लेकिन तब तक उसकी सांसें रुक चुकी थीं। उसके घरवाले बदहवास हो गये थे और उन्‍हें इनामुल की मौत का यकीन नहीं हो रहा था। इनामुल के चाचा मोहम्‍मद नजरुल वा भाई इकरामुल अपनी तसल्ली के लिए उसको एंबुलेंस से चिविवि ले गये, जहां डाक्‍टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। चौक की पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर कर उसका पोस्टमार्टम करवाया।

दोस्तो, ये बात केवल इनामुल कि जिंदगी की नहीं बल्कि इनामुल जैसे न जाने कितने ही मजदूरों की जिंदगी की है, जो रोज मौत के घाट उतर रहे हैं। हमारी माननीय मुख्यमंत्री जी के पास इन मजदूरों की जिंदगी और मौत का कोई भी लेखा जोखा नहीं होगा क्योंकि वो तो व्यस्त हैं अरबों-करोड़ो की विकास योजनाओं को जमीन पर उतारने में। जहां सड़कों के निर्माण और सुधार में करोड़ो खर्च हो रहे हैं, वहीं उस निर्माण कार्य में जुटे हुए मजदूरों की सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यह बात क्या हमारी मुख्यमंत्री जी के जहन में एक बार भी आ कर नहीं टिकती? और यदि वह यह कहती भी हैं कि इस दिशा में सुरक्षा इंतजाम किये जा रहे है तो वह इंतजाम कहीं दिखते क्यों नहीं?

2 comments:

  1. आप को पता है न ये सारे 'नेता' लोग सिर्फ एक ही काम में व्यस्त हैं ......

    फिर इन्हें जनता से और जनता की सुरक्षा से क्या लेना देना.

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  2. sahi hai. likhte rahiye aur is samvedna ko jeevit rakhiye. bahut kaam aaegi aage.

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