ये कैसी दौड़ है ज़िन्दगी की ?
बस भागते ही जाती हैं,
हर पल एक रहस्य के साथ,
अनसुलझी पहेलियो के साथ,
कभी कुछ कहती भी नही,
किसी पल रूकती भी नहीं,
अपनी ही ऐठ हैं इसकी,
तमाम सवाल पूछती हूँ मैं,
पूछते थक जाती हूँ मैं,
ये जवाब देती नही,
बस दौड़े जाती हैं,
कभी रुलाती हैं ये ख़ुशी से,
कभी गम दे जाती हैं,
जब तंग करो इसको प्रश्नों से,
एक उत्तर ये देती हैं,
कहती कि मैं रूकती नही,
रूकती तो फिर चलती नही |
बेटा कविता सिर्फ लिखने के लिए मत लिखो मैं आपके भाव समझ गया पर शब्दों का ताना बाना ठीक नहीं बुना है पहले कवितायेँ खूब पढ़ो फिर लिखो पर प्रयास अच्छा है लिखतों रहो आभार
ReplyDeleteaapke sujaho ke liye bht bht dhanyawaad sir..!!
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