कल १५ जनवरी को उत्तर प्रदेश की माननीय मुख्यमंत्री मायावती जी का जन्मदिन था. उन्होंने अपने ५५ वे जन्मदिन पर ढेरो योजनाये जनता क समक्ष प्रस्तुत की. उन्होंने उत्तर प्रदेश में जनहित गारंटी कानून लागू किया जिसके अंतर्गत जनता को जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, जाती, निवास, आय, विकलांगता का प्रमाण पत्र, किसान बही, राशन कार्ड, पानी के कनेक्शन आदि के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही साथ मुख्यमंत्री जी ने ५००० से अधिक आबादी वाले ग्राम पंचायतो में "ग्राम सचिवालय" स्थापित करने की घोषणा करी. कुल मिलकर उन्होंने इस सुअवसर पर ४००० करोड़ रूपये लगत की ६०० से अधिक योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया.
मायावती जी के जन्मदिन पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ. मुख्यमंत्री जी ने स्वयं जो केक काटा वो तो काटा ही साथ ही साथ उनके शुभचिंतको ने भी अपने अपने ढंग से उनको जन्मदिन की बधाइयां दी. लखनऊ की हजरतगंज में स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्र ने ५५ किलो का भव्य केक काट कर मुख्यमंत्री जी को बधाइयाँ दी.
मुख्यमंत्री जी के जन्मदिन पर इतने भव्य आयोजन और उनके शुभचिंतको की बधाइयों के बाद अखबार में छपा दृश्य ( १६-०१-२०११ का दैनिक जागरण, पृष्ठ १७) दिल में एक दर्द सा उत्तपन करता हैं. जारी चित्र के नीचे कुछ यूँ लिखा हैं "केक की माया: मुख्यमंत्री मायावती का जन्मदिन मनाने के लिए हाथरस में शनिवार को पुरानी कलक्ट्रेट में विशाल केक कटा तो अतिथियों के हटते ही उस पर टूट पड़ी जनता". इस पंक्ति को पढने के बाद मुझे दिमाग में जो सूझा वो ये था अर्थात अगर मैं इस चित्र को देखकर जो लिखती वो हैं " माया की माया:मुख्यमंत्री मायावती का जन्मदिन मनाने के लिए हाथरस में शनिवार को पुरानी कलक्ट्रेट में विशाल केक कटा तो अतिथियों के हटते ही वह माया के राज-काज में मौजूद भुखमरी पीड़ित लोगो ने भी उनके जन्मदिन का मज़ा लूटा". अतः ये तो माया की ही माया हैं क्योंकि यदि कल उनका जन्मदिन न होता तो इन गरीब लोगो को केक का सुख कैसे नसीब होता?
अब मेरे मन में जो प्रश्न कोंधता है वो यह हैं की माननीय मुख्यमंत्री जी और उनके जन्मदिन पर उनके शुभचिंतक, जिन्होंने अपने-अपने ढंग से मायावती जी को बधाइयाँ दी, वेह भले ही रोज़ अखबार न भी पढ़ते हो परन्तु अपने कारनामो की वाहवाही पढने के लिए तो अखबार के पन्ने पलटे ही होंगे, तो क्या उनकी नजर इस दृश्य पर नहीं पढ़ी? यदि नजर इस दृश्य पर पढ़ी तो उन महान व्यक्तिव लोगो ने क्या सोचा होगा? मुझे नहीं लगता ये सुन्दरीकरण इसलिए किया जा रहा हैं की इन सुन्दर सडको पर बैठकर बच्चे भीख मांगे या सडको पर पड़े हुए बासी और खराब केक ( भोजन) को ग्रहण करे.
जन्मदिन पर वाहवाही लूटने के लिए करोडो की योजनाये घोषित कर देने मात्र से स्थितियों में सुधार नहीं आएगा यदि सही मायनों में सुन्दरीकरण करना ही हैं तो वह सुन्दरीकरण मानव जीवन का होना चाहिए.
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
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गणतंत्र को नमन करें