कभी पिघलता है मन,
नम होती हैं आँखें,
हसीं ठहरती हैं लबो पर,
दिल घबराने लगता हैं,
कोई तो थामे मुझे,
मैं बिखर जाउंगी,
खो जाउंगी,
विलीन हो जाउंगी,
हवा जैसे भी,
महसूस नही हो पाऊँगी,
बिखरना नहीं चाहती मैं,
संभलना है मुझे,
बढ़ना है मुझे,
मंजिल पर पहुंचना हैं,
जब गिरुं,
सामने शक्ति हो,
कहे उठो, चलो, चलती जाओ,
चाहे लड़खड़ाओ,
या घबराओ,
बढ़ना हैं तुम्हे,
मैं उठ जाउंगी,
काटें पर भी चलती जाउंगी,
पर वो शक्ति तो हो,
जो संभाले मुझे,
बिखरना नहीं चाहती मैं,
संभलना है मुझे,
चलना है मुझे,
मंजिल पर पहुंचना हैं.
bidhiya hai
ReplyDeleteor bhi vishayon pr likho
thank u dear..!!
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