Saturday, February 19, 2011

दिल में एक ऐसा भाव हैं,
जिसे कहते ही आँखें हो जाती हैं नम,
दूरियां भी देती हैं तकलीफ,
पास होता हैं केवल गम,
मिल के बिछड़ना  क्यूँ होता हैं?
चाह के भी मिलना क्यूँ नहीं होता?
कल जो साथ था,
वो आज दूर हैं,
जानती हूँ की फिर मिलना ज़रूर हैं,
साथ हैं हमेशा दिल ये जानता हैं,
पर दूरी की तकलीफ भी
यहीं पहचानता हैं,
चेहरा जिसका रोज़ देखने की आस हो,
लगे जैसे पास उसके सारे एहसास हो,
कम वक़्त में कुछ रिश्ते,
यूँ गहरे बन जाते हैं,
सदियों के रिश्ते भी,
फीके नज़र आते हैं.

6 comments:

  1. सच कहूँ तो आपकी यह कविता आपकी चुनिन्दा अच्छी कविताओं में से एक है.
    बहुत बहुत बहुत ही अच्छी और निखरी हुई लगी आपकी यह कविता.

    शुभकामनाएं!

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  2. दिल में एक ऐसा भाव हैं,
    जिसे कहते ही आँखें हो जाती हैं नम
    इशा इस पंक्ति को दुरुस्त करो
    शेष बस इतना ही लिखते चलो

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  3. ये दुनिया कि उठा - पटक चलती ही रहेगी.
    Don't worry.

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  4. @ yashwant ji..bht bht shukriya..!
    @ mukul sir...koshish karti rhungi..!
    @ archit and kunwar kusumesh ji..dhanyawaad..!

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  5. theek hai, lekin janah NAM hai wahan kuch KUM lag raha hai.....

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