Tuesday, June 26, 2012


काश, मैं लिख पाऊ एक कविता
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे,
माँ सी ममता है तुमसे
बहन सा दुलार भी हैं
आशिकों सा जूनून है
दोस्त सा साथ भी हैं,
पत्नी सा प्यार हैं,
बेटी सा विश्वास भी हैं,

स्त्री के हर रूप का एहसास
दिलाता है तुम्हारा साथ

काश, मैं लिख पाऊ एक कविता
बता पाऊ मैं अपनी चाहत तुम्हे.