Sunday, February 20, 2011

प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी-२०११

लखनऊ, २१  फ़रवरी : राजभवन उद्यान में पिछले दो दिनों से चल रही प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी लखनऊवासियों के आकर्षण का केद्र बनी हुई थी. उद्यान के मध्य में सजे विभिन्न तरह के पुष्प और लगातार बजता मधुर संगीत लोगो के मन को खूब लुभा रहा था. प्रदर्शनी में प्रवेश टिकट मात्र ५ रूपये होने के कारण सभी वर्ग के लोगो ने  आसानी से इसका आनंद उठाया. पुलिस विभाग के श्री इन्द्रजीत सिंह रावत की देख रेख में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी. कल रविवार होने के कारण आगंतुको की संख्या अधिक थी. प्रदर्शनी में कैंटीन वा पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी.
प्रदर्शनी में कुल ११३७ प्रतियोगियों ने ५१२८ पौधों का प्रदर्शन किया था. ४५ वर्गों में विभाजित प्रतियोगिताओं में राजभवन, मुख्यामंत्री  आवास, आर्मी, प.ए.सी, उत्तर प्रदेश रेलवे, एच.ए.एल, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ नगर निगम ने भाग लिया था. विजेताओं को कल राज्यपाल बी.एल.जोशी ने शील्ड, ट्राफी व कप सहित नगद पुरूस्कार देकर सम्मानित किया.
बायोटेक पार्क (लखनऊ), नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय (फैजाबाद), धन्वन्तरी वाटिका राजभवन, राज्य ओद्योगिक मिशन (उ.प्र), भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (वाराणसी), उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग (उ.प्र), केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (मेरठ), राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (लखनऊ)  ने प्रदर्शनी में अपने अपने स्टाल्स लगा रखे थे. प्रत्येक स्टाल का अपना ही महत्व था. नरेन्द्र देव (फैजाबाद) स्टाल पर ६ फीट की लौकी को देखने वालो की भीड़ जमा थी. सब्जियों की अलग अलग प्राजातियों जैसे- सफ़ेद आलू, लाल आलू, गाजर देसी, गाजर विलायती, हाइब्रिड शाकभाजी के बारे में भी लोगो ने जानकारी ली.कोई स्टाल कृषि विविधिकरण परियोजनाओं के विषय में जानकारी दे रहा था तो कुछ स्टाल्स पर लोग  फूलो, फलो वा सब्जियों (मूली, बैंगन,खरबूजा,भिन्डी) की वैज्ञानिक विधियों से खेती एवं उनके भंडारण वा सुरक्षण की जानकारी लेते दिखे. कुछ आगंतुको का रुझान आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की जानकारी लेने की ओर था.

सब्जियों द्वारा निर्मित आकृति से दिया गया सन्देश 
"घड़ियाल बचाओ" 
शाक, भाजी, तरकारी द्वारा विभिन्न प्रकार की श्रेष्ठ आकृतियों की रचना कर के जो सन्देश जनता को दिया गया वो अत्यंत सराहनीय था.  इन आकृतियों द्वारा "नो मोर एड्स", "माँ सरस्वती का श्रृंगार करता बसंत", "अमन की आशा", मेरा भारत महान", "पेड़ बचाओ", "ग्रामीण भारत", "छोटा परिवार ,सुखी परिवार", "सर्वधर्म समभाव", "पृथ्वी बचाओ", "उड़ना मुझसे सीखो", "कागज़ का थैला इस्तेमाल करो", "आतंकवाद ख़त्म करो", "घड़ियाल बचाओ" जैसे सन्देश देकर जनता को जागरूक करने का प्रयत्त्न किया गया.जिला कारागार, रायबरेली द्वारा ५४ सब्जियों की मिश्रित डाली की आकृति आगंतुको को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी.

अलग अलग प्रकार के फूलो ने अलग ही  छटा बिखेर रखी थी.फूलो की विभिन्न दुर्लभ प्रजातियाँ 
पुष्प सिनरेरिया के समूह के पास फोटो
 खिचवाती आगंतुक
उबलब्ध थी.फ्लास्क, वेनेडियम, मेरीगोल्ड अफ्रीकन, लैनेरिया, कारनेशन, लयूपिन, लाईनम, जिप्सोकिल फूल देखने में बहुत ही मनमोहक लग रहे थे. फूलो की सुरक्षा के लिए जगह जगह पर माली बैठे थे. राष्ट्रीय उद्यान की तरफ से छोटे एवं बड़े इमामबाड़े के पुष्प सिनरेरिया को समूह में कलात्मक ढंग से ३ मीटर व्यास में सजाया गया था. सिनरेरिया के समूह के पास आगंतुको ने फोटो खिचवाई. गुलाब की अलग अलग प्रजातियाँ, प्रतियोगिता के लिए केले की छाल वा रंग बिरंगे फूलो से सजे मंडप, मौसमी फूल वा मंजू वर्मा द्वारा लगी सब्जियां लोगो को खूब लुभा रही थी. इतने खूबसूरत पारिदृश्य के साथ साथ उद्यान में चलता फव्वारा इसकी खूबसूरती को दुगना कर रहा था.

बाहर की तरफ लगे व्यावसायिक स्टाल्स पर लोगो ने जम कर खाद, फूलो वा सब्जियों के गमलो की खरीददारी की. आगंतुक राम मनोहर ने कहा की "सब्जी वा तरकारी द्वारा लोगो को जो सन्देश देने का जो तरीका है वो उनको बहुत भाया."  प्लांट साइंस की छात्रा राधिका ने कहा " मुझे यहाँ पर आकर अपने विषय से सम्बंधित कई बाते जानने को मिली."  चंद फल और सब्जियों द्वारा दिए जाने वाले सन्देश इस बात को दर्शाता दिखा की हमारे देश में सुधार की कितनी अधिक आवश्यकता हैं. दो दिन तक चली इस प्रदर्शनी ने समाज सुधार सम्बंधित सन्देश देते हुए बच्चो, युवाओ वा बुजुर्गो को खूब लुभाया. 

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