अकेली कहाँ हूँ मैं?
तन्हाई हैं ना मेरी,
वफ़ा निभाती हैं,
प्यार जताती हैं,
हसांती हैं,
रुलाती हैं,
बतियाती हैं,
एहसास बाटती हैं,
क्यूँ साथ मांगू किसी का?
क्यूँ किसी को गले लगाऊ?
क्यूँ प्यार को नुमाइश बनाऊ?
प्यार हैं ना मेरी तन्हाई,
अकेली कहाँ हूँ मैं?
तन्हाई हैं ना मेरी,
वफ़ा निभाती हैं,
प्यार जताती हैं,
हसांती हैं,
रुलाती हैं,
बतियाती हैं,
एहसास बाटती हैं,
क्यूँ साथ मांगू किसी का?
क्यूँ किसी को गले लगाऊ?
क्यूँ प्यार को नुमाइश बनाऊ?
प्यार हैं ना मेरी तन्हाई,
अकेली कहाँ हूँ मैं?
मर्मस्पर्शी कविता.
ReplyDeletethank you..!
ReplyDeleteअकेलापन भी नहीं है अकेला
ReplyDeleteलगा हुआ है अकेलेपन का मेला
हिन्दी ब्लॉगिंग कार्यशाला के चित्र
मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
gud imagination
ReplyDelete@ thanx 2 both of you..
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