आज के समय में पहचान की जरूरत तो सभी को होती हैं. वह पहचान चाहे किसी अच्छे काम से मिले या बुरे काम से. बस पहचान मिलनी चाहिए. यह बात तो आज भारत देश की आम जनता भी मानने से इनकार नही करेगी की जिस तरह से हमारा देश,विश्व में अपनी अलग पहचान बना रहा हैं वह कोई आसान काम नही हैं. आज चारो ओर हमारे देश और उसको चलाने वालो या कहे घसीटने वालो की चर्चा हो रही हैं.
कई महान व्यक्तित्वों ने देश का नाम रोशन किया हैं और जिस तरह से आम जनता उनके इस कारनामो से शांत हैं उससे ऐसा लगता हैं की वो उन महान व्यक्तित्वों के प्रति कृतज्ञ हैं. यह तो मेरा मानना हैं, यह भी हो सकता हैं की यह जनता की मूर्खता हो या फिर गूंगापन हो. खैर...मुद्दा तो देश को सफेदी की जो चमकार मिल रही है उसका हैं इतनी चमकदार सफेदी तो शायद रिन साबुन भी कपड़ो को नहीं दे पाती होगी.
देश के प्रति कई लोगो ने अपने कर्तव्यों का पूर्ण निर्वाह किया हैं जैसे - सुरेश कलमाड़ी, ए.राजा, मनमोहन सिंह, अशोक चव्हाण, येदुरप्पा और ना जाने कितने ही ऐसी हस्तिया हैं जो देश को विश्व प्रसिद्द बनाने में कोई कसर नही छोड़ रही हैं. इन हस्तियों ने तो फिर भी अपने नाम जनता के सामने पेश हो जाने दिए ऐसे न जाने कितने ही महान लोग होंगे जो देश को चमकाने के बावजूद भी अपना नाम उजागर नहीं कर रहे होंगे. अरे!! वही तो हैं जो सही मायनों में महान हैं या कहे भगवान् हैं. काम तो बड़े बड़े कर रहे हैं पर अपने दर्शन नहीं देते हैं. वो तो कुछ तकनीकी खराबी (बढती मीडिया तकनीक) के कारण उनके नाम प्रकट हो जाते हैं. इन सभी ने देश को खूब चमकाया, कभी राष्ट्रमंडल खेलो के दौरान, कभी भूमि के आबंटन के नाम पर, कभी मोबाइल तकनीक (२-जी स्पेक्ट्रम) के ज़रिये,कभी देश के धन को विदेशी बैंको ( काला धन मामला) को देकर,कभी जनता को आरामदेह ज़िन्दगी ( बेरोज़गारी) देकर,कभी महान व्यक्तित्वों ( थामस) को उच्च पदों पर नियुक्त कर के. यह तो बहुत छोटी सी लिस्ट हैं, महान नामो के साथ ही ऐसे ही ना जाने कितने महान कारनामे जनता से छुपाये जा रहे होंगे. यह तो हम लोगो को उस तकनीकी खराबी को शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसके चलते देश को चलाने वाले कुछ भगवानो और उनके कारनामो को उजागर किया जा रहा हैं.
पर एक बात तो तय हैं की यह भगवान् इसी तरह रिन साबुन देश को चमकाने के लिए घिसते रहे तो देश चमकते-चमकते फटीचर हो जाएगा. पर क्या हुआ...देश को विश्व में पहचान तो मिलेगी क्योंकि पहचान तो आखिर पहचान होती हैं.
बिलकुल सटीक कहा आपने.इन लोगों ने तो देश को धो डाला :)
ReplyDeleteकितना भी धो लो.. पर ये लोग तो यही कहेंगे... "दाग़ अच्छे हैं"
ReplyDeleteईशा पत्रकारिक भाषा में किसी प्रोडक्ट के नाम का इस्तेमाल उसका मुफ्त में विज्ञापन कर देगा खैर ये कोई बड़ा मसला नहीं है पर शुरुवात में आप खुद पढ़ें तो आपको लगेगा की कोई लेखक नहीं बल्कि नेता बोल रहा है
ReplyDeleteहाँ आपने व्यंग्य लिखने की कोशिस की है पर और प्रयास की जरुरत है मेरी बातों को अन्यथा न लें और लिखते रहें आभार
jo bhi ho raha hai uske liye humlog bhi kam zimmedaar nahi hain kyounki jab hamara kaam ban jata hai to wahi cheez acchi ho jati hai aur jab na bane to hum apne desh ke system ko koste hain.
ReplyDeleteas a example jab kabhi traffic police kabhi pakarti hai to hum use paise de kar manane ki koshish karte hain agar maan jaye to wo hamare liye accha hai aur agar na mane aur chalan kar de to hum log use galiyan dete hain jabki wo apni duti naibhata hai.
aap sabhi ki tippniyon ka bht bht shukriyaan..!
ReplyDeleteईशा बात आपने बहुत सही की है पर हम सब इसी देश का हिस्सा है और जिम्मेदारी न उठाने की हमारी आदत है इन सब लोगो को ये मौका देने वाली हमारे देश की जनता ही है हमारे घर का कोई सदस्य अगर कुछ गलत करता है तो बाकि सदस्य साथ खड़े होकर उसका विरोध करते है अगर हम सब अपने देश को भी अपना घर समझे तो शायद जल्द ही ये देश भी सुधर जाये |
ReplyDelete@ saumitra ...thnx 4 ur comment and i totally agree wid u..
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