Friday, February 25, 2011

लिखना, लिखने से ही आता हैं



इन दिनों हमारे डिपार्टमेंट के सभी स्टुडेंट्स को लिखने की धुन सवार हैं. कोई भी कुछ भी लिख रहा हैं. कुछ बहुत अच्छा और गंभीर तो कुछ हल्का फुल्का लिख रहे हैं. पर मज़े की बात ये हैं की सभी लिख रहे हैं. स्टुडेंट्स की इस लिखने की कोशिश की शुरुवात करने के पीछे मुकुल सर की अहम भूमिका हैं. सर के इस दिखाए हुए रास्ते पर सभी स्टुडेंट्स चलने की पूरी कोशिश कर रहे है और वो भी हम सबकी पोस्ट को रेगुलर पढने और उसपर अपने सुझाव देने के अपने वादे को पूरी तरह निभा रहे हैं.

सभी के मन में ना जाने कितना कुछ चल रहा होता हैं पर उसको शब्दों में व्यक्त करना कितना मुश्किल काम हैं ये तभी महसूस होता हैं जब कुछ लिखने बैठो. जब कोई स्टुडेंट कुछ नया लिख कर पोस्ट करता हैं तो उसको सर के कमेन्ट का इंतज़ार ठीक वैसे ही रहता हैं जैसे किसानो को अपनी फसल के लिए बारिश का इंतज़ार रहता हैं. हर रोज़ कॉलेज में मिलने पर सभी एक दुसरे से एक ही बात पूछते मिलते हैं " यार तेरी पोस्ट पर सर का कमेन्ट आया? क्या लिखा सर ने? वगेरह वगेरह..." और अगर सर ने किसी पोस्ट पर कुछ बहुत अच्छा कमेन्ट किया तब तो वो स्टुडेंट तोताराम कैंटीन की चाय पूरी क्लास को पिलाता हैं. स्टुडेंट्स की अच्छे कमेन्ट पाने की यह ख़ुशी पहले बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबर पाने जैसी होती हैं. इस ख़ुशी के साथ ही साथ ज़िम्मेदारी होती हैं एक और बेहतरीन पोस्ट ब्लॉग पर डालने की और फिर से सर का उम्दा कमेन्ट पाने की.

पर इसके साथ साथ उन लोगो को भी नही भूला जा सकता जो सर के एक अच्छे कमेन्ट के लिए तरसते नज़र आते हैं और अपने पोस्ट पर उनके सुझाव पाने के बाद और कुछ अच्छा लिखने की कवायद शुरू कर देते हैं. बड़ी अजीब फीलिंग होती हैं जब कोई स्टुडेंट अपनी पूरी मेहनत से अपने अकोर्डिंग कुछ बहुत अच्छा लिख कर पोस्ट करे और वो सर को पसंद ना आये. एक पल के लिए तो ऐसा लगता हैं लिखने की पूरी मेहनत व्यर्थ हो गयी. फिर उसी पोस्ट पर दोस्तों के चाहे जितने भी अच्छे कमेन्ट आ जाए मन संतुष्ट नही होता. कनडिशन कुछ वैसी ही होती हैं जैसे कोई पेरेंट्स अपने बच्चे की बेहतरी के लिए उसे डाटे और उसका खराब मूड देख कर उसके दोस्त यार उसका दिल बहलाने की कोशिश करे. खैर..उस कमेन्ट का शोक कुछ ही पल का होता हैं वैसे भी हमें सिखाया गया हैं कि " ठण्ड और बेईज्ज़ती जितनी महसूस करो उतनी अधिक लगती है." इसलिए उस पोस्ट को ज्यादा फील करने का मतलब नहीं बनता.  मतलब बनता हैं उस कोशिश को ज़ारी रखने का क्योंकि लिखना, लिखने से ही आता हैं.

लिखने की इस रेस में सभी शामिल हैं. सभी स्टुडेंट्स दस्तक देते हुए बिंदास सोच कर कुछ अनकही तो कुछ बिंदास बोलने की  पहल कर चुके हैं. हर कोई अपने भाव-अनुभव को खूबसूरत शब्दों में पिरोने की पूरी कोशिश कर रहा हैं.  कभी किसी की माला बनती तो किसी के मोती बिखरते दिखते हैं.कोई इस समुन्द्र में डूबता तो कोई तैरता दिखता हैं, किसी की आशा का गुब्बारा फूलता तो किसी का पिचकता दिखता हैं. इन सभी आशाओं और निराशाओं के बीच जो बात सबसे अच्छी हैं वो हैं कि हम सभी स्टुडेंट्स इस दौड़ में शामिल हैं और अब चाहे हम जीते या हारे पर एक गम नहीं होगा के हमने कोशिश नहीं की.

इस कोशिश से पहले हम सभी एक ऐसी रेलगाड़ी के डिब्बे थे जिसमे इंजन ना होने के कारण वो एक ही जगह खड़ी हुई थी पर सर ने  इसमें इंजन फिट कर दिया हैं अब रेलगाड़ी ने चलना तो शुरू कर दिया हैं पर ये मंजिल पर पहुचेगी या बीच में ही पटरी से उतर जायेगी ये समय के साथ ही पता चलेगा. फिलहाल तो यह सफ़र बहुत सुहाना लग रहा हैं और हम सभी इस सफ़र की सुहानी यादो को अपने अपने ब्लॉग में पोस्ट करते (कैद करते) चल रहे हैं. कल हम जहाँ भी हो, पर जब भी हम अपने इस सफ़र को दुबारा जियेंगे, और अपने पोस्ट और सर के कमेंट्स को पढेंगे तो आँखों में नमी और होठो पर एक मीठी मुस्कान ज़रूर होगी और अगर हमारी गाड़ी पटरी से उतर भी गयी होगी तो सर की बात "लिखना, लिखने से ही आता हैं" फिर से लिखने की कोशिश करने के लिए प्रेरित कर देगी और हमारी यह लगातार कोशिश हम सबको भी अपनी अपनी मंजिलो पर ज़रूर पंहुचा देगी. जहाँ पहुंचकर हम भी कह सकेंगे की हाँ ! "लिखना, लिखने से ही आता हैं" .

6 comments:

  1. बिलकुल सही कहा आपने कि ''लिखना लिखने से ही आता है'' और जहाँ तक मुकुल सर के पसंद आने या न आने की बात है तो अगर उन्होंने कुछ सुधार करने को कहा तो इसमें गलत कुछ भी नहीं है.मैंने आपके ब्लॉग पर उनके कमेंट्स को पढ़ा है.उनकी कोशिश है कि आप (सभी स्टुडेंट्स)अच्छे से और अच्छा लिखें.इसलिए उनके पसंद न आने पर निराश होने की नहीं बल्कि ये समझने की ज़रूरत है कि वो आपका इम्तिहान ले रहे हैं जिसमे हर हाल में पास होना है.
    एक बात और.. बेहतर होगा कि अपने ब्लॉग की पहुँच और भी लोगों तक बनाने के लिए अपने ब्लॉग को किसी अच्छे एगिरिगेटर जैसे www.hamarivani.com और http://blogparivaar.blogspot.com/ पर रजिस्टर्ड भी करा लें.इससे और भी लोग आपको जान सकेंगे और पढ़ सकेंगे.और एक अलग तरह का मूल्यांकन भी हो सकेगा.
    मैंने कई बार आपकी पोस्ट को अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर शेयर किया है और कोशिश की है कि लोग आपको पढ़ें.

    बहुत लंबा लेक्चर हो गया न :(....सौरी.

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  2. अरे वाह! क्या बात है।
    यह सही है लिखना लिखने से आता है। अच्छा लिखना अच्छी बात है लेकिन खराब लिखने के भी बहुत फ़ायदे हैं। देखो यहां बताये हैं मैंने:

    http://hindini.com/fursatiya/archives/513

    ब्लाग लिखने में सहजता रहना बहुत जरूरी है। :)

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  3. इशा इस बार आपने जो लिखा है वो पसंद आया एक ऐसा दस्तावेज़ जिसमे भाव है ,गति है साथ ही रोचक भी तो देखा न लिखना लिखने से आता है
    बधाई

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  4. @ yashwant ji..aapka bht bht shukriya ki aapne mere post ko is kabil samjha ki aapne apne fb profile par share kiya..aur aapki baat se main bhi sehmat ho ki sir ham sabhi students ko polish krne ke liye hi apne sahi aur prernatmak sujhaao dete hain..aap please mujhe blog registration ka poora process mere id par mail kar dijiye..aur please sorry aur thank you ye do words mat bola kariye..ab shyad meri baaten bhi bht zyada ho gyi. :-)

    @ anoop ji..bht bht shukriya aapka..!

    @ mukul sir...aapki dikhaaye hue raaste par chalne ki koshish jaari hain..aasha hain ki meri himmat kabhi nahi totegi aur main likhti jaungi..kyonki aapki baat bilkul sahi hain "likhne,likhne se hi aata hain" thank you sir..!!

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  5. लिखना लिखने से आता है....बिल्कुल सही ....सहमत हूँ....

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  6. aapki sehmati ke liye shukriya..! :-))

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