Wednesday, February 9, 2011

बस कुछ लिखने के लिए...

अब सर की दी हुई प्रेरणा से हर रोज़ कुछ न कुछ लिखने का मन करता हैं. भले ही जैसा भी लिखू बस लिखू. एक आस होती हैं के कुछ लिख जाऊ. अब जब पछले ३-४ दिनों से ये आशा बरकरार है तो यह एहसास हो रहा हैं की लिखने का भी अपना मज़ा हैं. लिखने के बाद जब पढो तो लगता है की जिंदगी के कितने पहलु ऐसे हैं जो लिखते वक़्त तो लिख जाओ पर कभी यूँ बैठ कर उन पहलुओ पर विचार ही नहीं किया.
दिल तो बच्चा है जी, तो बस आज बैठे बैठे यूँ ही अपने मोबाइल से खुद के नंबर पर कॉल लगा रही थी और नंबर व्यस्त बता रहा था तभी मन में एक ख्याल कौंधा के मेरा नंबर हैं औरो को तो एक झटके में मिल जाता हैं  और मेरे लिए ही व्यस्त हैं. जिंदगी भी कुछ ऐसी ही हो गयी हैं, इधर उधर की व्यस्तताओं में अपनी जिंदगी के लिए तो वक़्त ही नहीं मिलता. अकेले में बैठ कर खुद से बातें किये हुए तो एक ज़माना हो गया हैं. अपने बारे में सोच ही रही थी की अचनाक फिर कोई और उस पर हावी हो गया. क्या करे, मन इतना चंचल जो हैं. ख्याल आया की कुछ दिनों में वेलेनटाइन डे आने वाला हैं और मुझे भी इस दिन को मनाने के लिए वेलेनटाइन चाहिए. अपने इस ख्याल को पूरा संजो भी नहीं पायी  थी की अचानक अगला ख्याल मन में कूदने लगा. ऐसा लगा जैसे एक ख्याल के साथ ख्यालो का ढेर मुफ्त. वेलेनटाइन डे तो बाद में मनाउंगी पहले पढाई तो कर लू. कुछ समय बाद एग्जाम  हैं. फिर ख्याल आया के इस एग्जाम के चक्कर में पढ़ कर ज़िन्दगी के एग्जाम को कैसे भूल जाऊ. इस ज़िन्दगी के एग्जाम का ना तो कोई फिक्स्ड सिलेबस होता हैं और ना ही  परीक्षा के तारीख तय होती हैं.  ये तो हर घडी अपना रूप बदलती हैं. कभी धूप तो कभी छाव, कभी दिन तो कभी रात.
इतना भारी भरकम सोचते ही अगला ख्याल आया की क्यों ज़िन्दगी में इतनी तकलीफे उठाई जाए आखिरकार तो मरना ही हैं. फिर वही घिसे पिटे सवाल मन में उठे. मेरे मरने के बाद क्या कोई मुझको याद करेगा? करेगा तो क्यूँ करेगा, वगेरह वगेरह...
फिर सोचा................................................
फिर कुछ नहीं सोच पाई....
बस आज इतने ही ऊट-पटांग ख्याल मन में आये.अगली बार जब और भी ऐसे ख्याल आयेंगे तो फिर से उनको शब्दों में संजोने की कोशिश करुँगी.

6 comments:

  1. dusre ke naam se jeena he zindagi koi zindagi apne liye nahi jita hai.
    ek baar soch ke dekho ki humne apne liye kitni zindagi ji hai jawab khud he mil jayega dusron ke liye jeete jeete hum apne ko bhool jate hain shayad isi ko zindagi kahte hain

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  2. मेरा नंबर हैं औरो को तो एक झटके में मिल जाता हैं और मेरे लिए ही व्यस्त हैं. जिंदगी भी कुछ ऐसी ही हो गयी हैं, इधर उधर की व्यस्तताओं में अपनी जिंदगी के लिए तो वक़्त ही नहीं मिलता. अकेले में बैठ कर खुद से बातें किये हुए तो एक ज़माना हो गया हैं.
    अच्छा है पर अंत तक मामला गड़बड़ा गया ऊपर की पंक्तियों पर खेलते तो कुछ अच्छा निकलता
    आभार

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  3. वाह! कितना कुछ समेट लिया आपने.मज़ा आ गया पढ़ कर.
    वैसे बिन मांगे की एक सलाह भी दूंगा-अपनी पढ़ाई और लेखनी को ही वैलेंटाइन समझिये बाकी सब तो होता रहता है.

    ऐसे ही लिखते रहिये सुधार खुद ब खुद आ जाएगा.

    शुभ कामनाएं.

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  4. @ meraj..lekh padhne aur us par tippni krne ka bht bht shukriya.
    @ sir..agli baar ki koshish me ummid krungi ki kuch aur behtar likh pau..thnx !
    @ yaswant ji..aapke comment ke liye bht bht dhanyawaad..!

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  5. इसे पढ़कर तो मजा आ गया। :)

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