Friday, May 27, 2011

ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
कोई नहीं है पास,
तनहा मैं और खयालात हैं मेरे,
मीलो वीरानी छाई हैं,
ना चाहते हुए भी याद किसी की आई हैं,
कह दो इन यादो से सताए ना मुझको,
बे-मतलब रुलाये ना मुझको,
रुमाल अब आंसुओं को सोखता नहीं,
कोई किसी के आंसू पोछता नहीं,
इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,
दूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,
ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?

8 comments:

  1. इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,
    दूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,

    बहुत दर्द समेट लिया है इस कविता में.

    सादर

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  2. ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
    सवालों के जवाब ढूँढें, रास्ता ज़रूर मिलेगा.....

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  3. ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
    सवालों का जबाब भी आप ही को खोजना है , खुबसूरत अहसास , बधाई

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  4. ओ बहना,
    बड़े नाज़ुक हैं हालात तेरे
    जायज़ हैं पर सवालात तेरे
    तन्हाई में घुटती है क्यों
    जवानी के हैं दिन-रात तेरे
    बाहर निकल और घूम फिर
    ताज़ा हो जाएंगे जज़्बात तेरे
    दुखों को भूलकर मुस्कुराना सीख ले
    दूर हो जाएंगे सारे सदमात तेरे

    बहुत अच्छे जज़्बात।
    हमारे ब्लॉग पर भी तो आइये आप कभी।
    आपकी इंतज़ार में
    अनवर जमाल

    http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/05/blog-post.html

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  5. इसी को तो प्यसुदंर रचना। पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ। पर आना सफल हुआ। आभार।ार कहते है।

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  6. आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
    नयी-पुरानी हलचल

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  7. वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
    आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
    बधाई.

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