Friday, December 9, 2011

बंद डायरी के पन्ने

तेज़ हवा के साथ कुछ पन्ने पलट जाते हैं,
शायद वो पन्ने जिनको आप भूल चुके हो,
या वो पन्ने जिनको आप भूलना  चाहते हो,
पढने पर उनको कसक उठती है,
हर अक्षर कहता है अपनी कहानी,
याद आ जाती हैं बातें पुरानी,
कुछ शब्द देते हैं याद सुहानी,
कुछ कह जाते हैं हमारी नादानी,
उस बंद डायरी के पन्ने
खुलने के बाद
दिल फिर यही कहता हैं
यादो में बसा हर पल
हमेशा जिंदा ही रहता हैं.

5 comments:

  1. यादे कभी भी नही भुलाई जाती है.....बहुत अच्छी अभिवयक्ति....

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  2. सही कह रहे हो 'यादों मे बसा हर पल हमेशा जिंदा ही रहता है' कभी कभी हम भूलना चाहते हैं लेकिन वक़्त और हमारी सोच की तेज़ हवा फड़फड़ाते हुए डायरी के इन भूले बिसरे पन्नों को सामने ला ही देती हैं। ........... कम शब्दों मे बहुत कुछ कह जाती है यह कविता। ......बेहतरीन।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई .....

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