आग की लपट में
शीतलता पा रहा होगा
जब ये तन
तुम अपनी आँखों को
आंसुओ से मत जलाना
सिसकेगी मेरी आत्मा
जब कोई और
मेरे नाम का आंसू
तुम्हारे चेहरे से पोछेगा
इस संसार की सीमाओ
में साथ
ना रह सके तो क्या
बन के हवा का
खुशबूदार झोका
महकाऊँगा मैं तुम्हारा जीवन
मेरी चिता की अग्नि को
अपनी आँखों में
याद बना कर बसा लेना
देह की चुटकी भर राख से
अपनी मांग सजा लेना
याद करना मुझे जब भी
अपने कमरे के किवाड़ खोल लेना
आऊंगा मैं तुमसे मिलने
बैठूँगा वैसे ही
तुम्हारा हाथ थाम कर
धूप जब लगेगी मेरे चेहरे पर
तुम अपनी ओढनी से वैसे ही ढक लेना
फिर तुम्हारी गोद में सर रख कर
सो जाऊंगा
आता रहूँगा यूँ ही
हर बार तुमसे मिलने
बस तुम मेरे मिलन की चाह
को अपने दिल से कभी ना मिटाना.
शीतलता पा रहा होगा
जब ये तन
तुम अपनी आँखों को
आंसुओ से मत जलाना
सिसकेगी मेरी आत्मा
जब कोई और
मेरे नाम का आंसू
तुम्हारे चेहरे से पोछेगा
इस संसार की सीमाओ
में साथ
ना रह सके तो क्या
बन के हवा का
खुशबूदार झोका
महकाऊँगा मैं तुम्हारा जीवन
मेरी चिता की अग्नि को
अपनी आँखों में
याद बना कर बसा लेना
देह की चुटकी भर राख से
अपनी मांग सजा लेना
याद करना मुझे जब भी
अपने कमरे के किवाड़ खोल लेना
आऊंगा मैं तुमसे मिलने
बैठूँगा वैसे ही
तुम्हारा हाथ थाम कर
धूप जब लगेगी मेरे चेहरे पर
तुम अपनी ओढनी से वैसे ही ढक लेना
फिर तुम्हारी गोद में सर रख कर
सो जाऊंगा
आता रहूँगा यूँ ही
हर बार तुमसे मिलने
बस तुम मेरे मिलन की चाह
को अपने दिल से कभी ना मिटाना.