Friday, March 4, 2011

चाँद...एक सच्चा साथी



रात में फुर्सत के पलो में मैं अपने से ढेरो बाते करती थी. अपने सपने, दर्द, ख़ुशी,गलतियाँ सब कुछ खुद से कह देती थी. जब भी कोई पास नहीं होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि मैं अपने पास हमेशा रहती थी. आज से पहले कभी कोई ख़ामोशी महसूस ही नही होती थी. पर आज की ये रात ना जाने क्यूँ बहुत ख़ामोशी भरी और दर्द भरी लग रही हैं. बहुत कोशिश के बावजूद भी अपने से बात नहीं कर पा रही हूँ और ना ही अपने इस अजीब एहसास से संतुष्ट हो पा रही हूँ.  आज से पहले कभी कोई रात इतनी तन्हा नहीं थी के जुगनुओ का शोर भी सुनाई ना दे.


आज की रात तो ऐसा लग रहा हैं के घडी की सुई आगे ही नहीं बढ़ रही हैं. मैं जितना अगली सुबह के लिए तरस रही हूँ रात उतनी ही लम्बी होती दिख रही हैं.बार बार मोबाइल को उठा के समय देख रही हूँ और समय हैं की कछुए की चाल चल रहा हैं. ऐसा लग रहा हैं मानो समय अपाहिज हो गया हैं और मैं जिस रफ़्तार से भागना चाहती हूँ समय मेरा साथ नहीं दे पा रहा हैं. चारो तरफ फैला अँधेरा और इतनी गंभीर ख़ामोशी मुझमे सिहरन पैदा कर रही हैं. इस ख़ामोशी को सिर्फ मेरी सिसकियाँ ही तोड़ रही थी. इस रात ही मुझे पता पड़ा की मेरी आँखों की झोली में अश्को की बेशुमार दौलत हैं. मैं फूट कर रो रही थी क्यूंकि मुझे यकीन था की मेरी ये रुलाई ही इस ख़ामोशी को हरा सकती हैं. पर एक-आध घंटे बाद ये भ्रम भी टूट गया.


तभी मेरी नज़र दूर आसमान में बैठे हुए चाँद पर गयी. वो मेरी इजाज़त के बिना ही मेरे कमरे को अपने निर्मल प्रकाश से नहला रहा था. कभी पेड़ो के झुरमुट से तो कभी खिड़की से मेरी तरफ झांक रहा था. उसकी अठखेलिया और खिलखिलाहट मेरे उदास मन को बहला रही थी. उसकी शरारतो को देख कर सिसकियो के बीच ही मुझे अपनी हसी की एक धीमी सी आवाज़ सुनाई दी. फिर मैंने भी अपनी ख़ामोशी के सन्नाटे से पैदा हो रही सिहरन को दूर करने के लिए उसे अपने पास बुलाया. मेरे बुलाते ही वो छोटे बच्चे की तरह हँसता, उछलता हुआ मेरी बालकनी पर आ गया.


आते ही वो ढेरो प्रश्न पूछने लगा और मैं एक एक कर के बेबाकी से उसको सब प्रश्नों के जवाब देनी लगी. इस गुफ्तगू  में मैंने अपने अश्को कि बारिश से गम के तकिये को भिगो दिया. उस वक़्त मुझे एहसास हुआ कि मैं अब निर्भय होकर सांस ले पा रही हूँ. और जैसे-जैसे बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे उसकी चांदनी अधिक फैलती गयी. मुझे एहसास हुआ के ये चाँद का ही जादू हैं कि उसका उजाला मेरे भीतर तक उतर रहा है और मेरे अन्दर के अँधेरे को पोंछ रहा हैं और साथ ही मुझे एक नयी ताकत दे रहा हैं. खुद को जब थोडा संभला हुआ पाया तब जाना कि ये तो चांद का बड़प्पन ही हैं कि खुद को इतने तारो के बीच में तन्हा पाने के दर्द में डूबे होने के बाद वो मेरी खामोशियो को भी खुद में समां रहा हैं. मैंने जाना कि ये चाँद सिर्फ चाँद ही नहीं हैं बल्कि ये चोर हैं जिसने कुछ पलो में मेरे सारे गमो को चुरा कर अपना बना लिया. वह चाँद मेरे अन्दर के सारे अंधेरो और खामोशियो को खुद में समेटकर वापस फलक पर लौट गया. मुझे एक रौशन दुनिया में छोड़ कर वो वापस अपनी तन्हाइयो में लौट गया और मैं अगली सुबह सूरज की ओजमयी किरणों के साथ अपने ख्वाबो को सजाकर उन्हें हकीकत बनाने की जद्दोजहेद में जुट गयी. अब हर रोज़  रात में एक बार मेरी नज़र चाँद पर ज़रूर टिकती हैं और मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए उसे शुक्रिया कहना नहीं भूलती.

12 comments:

  1. चाँद से बेहतर तन्हा रातों का साथी और है भी कौन भला...उम्दा प्रवाह एवं भावपूर्ण लेखन.

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  2. badhiya hai isha ab sab chand dekhne lage hai....bahut badhiya lekh....

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  3. तन्‍हा रात और चांद का नजारा। सच में बडा खूबसूरत दृश्‍य है।

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  4. समय का अपाहिज होना , और चांदनी का साथ अच्छा लगा भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर ,बधाई

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  5. बहुत अच्छा लगा आपका यह लेख.

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  6. बहुत सुन्दर आलेख...

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  7. @ sameer ji, saumitra, atul ji, sunil ji, yashwant ji, kailash ji..lekh padhne aur use sarahne ke liye aap sab ka shukriya..

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  8. ईशा मैं अब क्या कहूँ भाई लोग कह ही रहे हैं पर मीडिया की भाषा के हिसाब से कुछ शब्द बहुत भारी हैं या थोपे से लगते हैं
    १.अपने अश्को कि बारिश से गम के तकिये को भिगो दिया
    २.जाने क्यूँ बहुत ख़ामोशी भरी
    ३. वो मेरी इजाज़त के बिना ही मेरे कमरे को अपने निर्मल प्रकाश से नहला रहा था
    ४.मेरी खामोशियो को भी खुद में समां रहा हैं
    ५.वह चाँद मेरे अन्दर के सारे अंधेरो और खामोशियो को खुद में सूरज की ओजमयी किरणों के साथ अपने ख्वाबो को सजाकर उन्हें हकीकत बनाने की जद्दोजहेद में जुट गयी.
    समेटकर वापस फलक पर लौट गया.

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  9. vry nice isha...kaha media k peeche padi ho "sahityakaar"....

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  10. @ mukul sir...agli baar ke liye dhyan rakhungi...thanx..!!
    @ neha...thanx dear..!!

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