कभी गिरता है ब्रिज, कभी गिरती है सीलिंग,
फिर भी मेंनजमेंट को नहीं है शर्म की फीलिंग,
भारत का सम्मान क्यूँ रखा है ताक पर,
पट्टी पड़ी है क्या सरकार की आँख पर,
विदेशी कदम कदम पर भारत को कोसते है,
हम उनके भव्य इंतेज़ाम की सोचते है,
पीड़ा उनको भी है जिनका निवास है मलिन बस्ती,
क्या रखा है बनाने में झूठी हस्ती ,
क्या भूखे पेट कभी खेला है कोई,
भूख के कारण तो आम जनता है रोई,
जो रकम खेल पे बहाई जा रही है,
कोई पूछ सकता है वो कहा से आ रही है?
उनके कुछ टुकडो से न जाने कितनी ही ज़िन्दगी सवर जाती,
कितनो की जीवन नौका फसे भवर से तर जाती |
realistic comments
ReplyDeletethanx sir..!
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