Monday, October 4, 2010

तेरे बिन...

एक पल कुछ ऐसा सिखा गयी ज़िन्दगी,
उस पल मौत दिखा गयी ज़िन्दगी,
बिन तेरे जीवन आधार रहित सा लगता है,
बिन तेरे जीना खौफ सा लगता है,
हर कोने से तेरी आहट आती है,
तेरी यादो से आखें भीग जाती है,
यूँ क्यू तू अकेला ही चल दिया,
क्यू ना मुझे साथ आने का पल दिया,
महसूस कौन करेगा मेरे एहसासों को,
अब कौन महकाएगा मेरी साँसो को,
जाने से पहले मुड़ के देखा तो होता,
एक कोशिश से मैंने तुझको रोका तो होता,
जिद करता तो साथ चलती मैं तेरे,
वीरान ज़िन्दगी का ज़ख्म तो न लगता मेरे |

6 comments:

  1. कल 15/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. अकेलेपन के ज़ख़्म से पर हाल से बचना होगा. अच्छी रचना. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. बहुत विरह के भाव लिए अकेले पन का दर्द बताती हुई शानदार अभिब्यक्ति /बधाई आपको /
    ब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/ इसका लिंक हैhttp://hbfint.blogspot.com/2011/08/4-happy-independence-day-india.htmlधन्यवाद /

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